भारतीय वैदिक देवता ही नहीं, दुनिया के सभी अंतरिक्षवासी देवताओं के साथ भी विचित्र व विविध रूप रंग होने की कथाएं जुड़ी हैं। क्या पृथ्वी के अतिरिक्त जो ग्रह हैं, वहां मनुष्य जैसे या मनुष्य से भी अधिक उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने वाले प्राणी निवास करते होंगे? क्या वैदिक काल में यही यात्री अंतरिक्ष यानों से धरती पर आते रहे होंगे? पौराणिक कथाओं में इनको स्वान तारा-समूह में स्थित एक सुदुर ग्रह से आना बताया गया है। डॉ. कार्ल सागन और जोसेफ स्कलोवस्की की चर्चित पुस्तक है ‘इंटेलिजेंट लाइफ इन द यूनिवर्स’।
लेखकों का मानना है कि जिस काल में मानव होमोसेपियन्स बना था, उस कालखंड के इर्द-गिर्द पृथ्वी पर अन्य किसी ग्रह से अत्यंत सभ्य और प्रबुद्ध प्रजाति के प्राणी आए थे। इन लेखकों ने प्राचीन भारतीय सुमेर तथा अक्कद (वर्तमान बेबीलोन) की कला, संस्कृति और विज्ञान को अपनी विषय-वस्तु को आधार बनाया है। जैविक विकास की प्रक्रिया के अनुसार उन्हें विकसित व सभ्य होने में कई हजार वर्ष लगने थे, पर वे जिस तत्परता से सभ्य व विकसित हुए, विकास का वह क्रम आश्चर्यजनक है। फिलहाल सत्य क्या है, यह खोज का विषय है।