scriptभारतीय पर्यावरणविद जिनसे प्रेरित हो बार्बी बनी ‘इकोलॉजिस्ट’ | And now a Barbie inspired by Indian American ecologist Nalini Nadkarni | Patrika News
विज्ञान और टेक्नोलॉजी

भारतीय पर्यावरणविद जिनसे प्रेरित हो बार्बी बनी ‘इकोलॉजिस्ट’

-विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणितीय विषयों में स्कूली छात्राओं को प्रोत्साहन देने के लिए ‘स्टेम-थीम्ड’ बार्बी डॉल्स लान्च कर रही MATTLE कंपनी
-भारतीय मूल की अमरीकी नागरिक नलिनी नादकर्णी संभवत: पहली भारतीय वैज्ञानिक हैं जिनसे प्रभावित होकर बार्बी डॉल का नया स्वरूप गढ़ा गया है।

जयपुरJan 27, 2020 / 09:59 pm

Mohmad Imran

भारतीय पर्यावरणविद जिनसे प्रेरित हो बार्बी बनी 'इकोलॉजिस्ट'

भारतीय पर्यावरणविद जिनसे प्रेरित हो बार्बी बनी ‘इकोलॉजिस्ट’

पर्यावरण के प्रति बच्चों को ज्यादा संवेदनशील बनाने के मकसद से बार्बी डॉल निर्माता अमरीकी कंपनी मैटल ने नेशनल ज्योग्राफिक के साथ मिलकर एक नई बार्बी तैयार की है। भारतीय मूल की पर्यावरणविद और जीव विज्ञानी 65 वर्षीय नलिनी नादकर्णी इस नई डॉल की प्रेरणा है जो बार्बी से खेलने वाली बच्चियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही उन्हें इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए भी प्रेरित करेगी। 61 साल पुरानी मैटल कंपनी इससे पहले पारंपरिक गुडिय़ों से इतर बार्बी को अंतरिक्ष यात्री, डॉक्टर, खगोल भौतिकीविद, एक संरक्षणवादी, एंटोमोलॉजिस्ट, समुद्री जीवविज्ञानी और वाइल्ड लाइफ फोटो जर्नलिस्ट के रूप में भी प्रस्तुत कर चुकी है ताकि स्टेम विषयों में लड़कियों का रुझान बढ़े।

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कौन हैं प्रोफेसर नलिनी
मैरीलैंड, उटाह निवासी नलिनी एक जीवविज्ञानी प्रोफेसर हैं जो वर्षावनों में पौधों को मिलने वाले पोषक तत्वों का अध्ययन करती हैं। इतना ही नहीं वे कैदियों को शांत करने में मदद करने के लिए जेलों के भीतर प्रकृति को लाने के लिए भी जानी-जाती हैं। वर्तमान में नलिनी कोस्टा रिका में उन पेड़ों पर शोध कर रही हैं जो किसानों द्वारा जंगल के अधिकांश हिस्से को काटे जाने के बावजूद खड़े हैं।

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ठुकरा दिया था प्रस्ताव
छोटी बच्चियों को पर्यावरण से जोडऩे, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (स्टेम विषय) में आगे लाने एवं पारंपरिक कॅरियर की बजाय इन नए क्षेत्रों में संभावनाएं ढूंढने के मकसद वे बार्बी से 2003 में मिली थीं। वे चाहती थीं कि कंपनी ऐसी डॉल बनाए जो छोटी बच्चियों को इन क्षेत्रों में आने के लिए प्रेरित कर सके। लेकिन तब मैटल कंपनी ने उनका आइडिया यह कहकर ठुकरा दिया था कि इस तरह की बार्बी को कोई नहीं खरीदेगा। तब डनहोंने खुद ऐसी डॉल्स बनानी शुरू कीं और अपनी वेबसाइट पर वे अब तक ऐसी 400 से ज्यादा डॉल बेच चुकी हैं।
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इससे प्रेरित होकर अब 17 साल बाद कंपनी ने खुद अपनी डॉल बनाने के लिए नलिनी के दिए इनपुट का उपयोग किया है। वे गुडिय़ा बनाने के पांच सदस्यीय एक्सपर्ट सलाहकारों के पैनल में भी शामिल रहीं। बार्बी की इन नई प्रेरक शृंखला में इस बार कंपनी ने वन्यजीव संरक्षणवादी, एस्ट्रोफिजिसिस्ट, पोलर मरीन बायोलॉजिस्ट, वाइल्डलाइफ फोटोजर्नलिस्ट और एंटोमोलॉजिस्ट को भी शामिल किया है। नलिनी की बार्बी बिल्कुल उनके जैसे दिखाई देती है जो रबर के जूते, दूरबीन और एक रस्सी के साथ अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आती हैं।
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