रोबोट को चींटियां सिखाएंगी चलना
अभी तक बनाए गए रोबोट में या तो प्री-प्रोग्राम रूट डाला जाता है, जिसके आधार पर वह निर्धारित रास्ते पर चल पाते हैं
न्यूयार्क। दुनिया भर के साइंटिस्ट एक से एक बेहतरीन क्षमता वाले रोबोट बनाने में लगे हैं, लेकिन अब इन रोबोट को और बेहतर बनाने में चीटियां वैज्ञानिकों की मदद करेंगी। जी हां, यह काम बेहद नन्हीं दिखने वाली चींटियां करने वाली हैं। दुनिया में अभी तक बनाए गए रोबोट में कई गुण हैं लेकिन लगभग कोई भी रोबोट ऐसा तैयार नहीं किया जा सका है जो खुद रास्तों की पहचान कर चल सके।
अभी तक बनाए गए रोबोट में या तो प्री-प्रोग्राम रूट डाला जाता है, जिसके आधार पर वह निर्धारित रास्ते पर चल पाते हैं। या किसी आॅस्टेकल-तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यानी रोबोट के रास्ते में कोई अवरोध आने पर रास्ता बदल लेता हैं। केवल चंद रोबोट एक पाॅइंट से दूसरे पाॅइंट तक अपना रास्ता खुद तय कर पाते हैं। लेकिन इंसानों की तरह राॅबोट रास्ते खुद तय नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए अब कुछ इंजीनियर्स एक विशेष प्रकार की चींटी का अध्ययन कर रहे हैं।
सहारा के मरूस्थल में काटाग्लेफिस नाम की चींटी पाई जाती है। यह चींटी की अन्य प्रजातियों की तरह अवरोध आने पर रास्ता नहीं बदलती, बल्कि खुद अपना रास्ता तय करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चींटी चलने के लिए देखने के साथ-साथ रास्तों को समझने, पहचानने और व्यवस्थित रूप से ढूंढने का काम भी करती है। इंजीनियरों का मानना है कि इन चींटियों के इस गुण का गहन अध्ययन किया जाए और इसी तरह की क्षमताएं रोबोट में विकसित की जाएं तो इससे भविषय के रोबोट को खुद रास्ता ढूंढ कर चलने की क्षमता दी जा सकती है।
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