धरती के पास से गुजरने वाला ये धूमकेतु भारत में भी दिखाई देगा। इसका नाम नियोवाइज है। इसका अगला हिस्सा तेजी से जलता हुआ निकलता है और पीछे छोटी या लंबी रोशनी की पूंछ होती है। नियोवाइज धूमकेतु को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस साल मार्च में खोजा था। यह धरती के सबसे करीब 22 और 23 जुलाई को होगा। उस वक्त धरती से इसकी दूरी करीब 10.3 करोड़ किलोमीटर के आस—पास होगी। उस समय कुछ जगहों पर आसमान में हल्की आतिशबाजी जैसा नजारा दिखाई दे सकता है। यह धूमकेतु धरती के कई हिस्सों में दिखाई दिया है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ने इसकी कुछ तस्वीरें भी कैद की थी। उस वक्त ये पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा था। धूमकेतु की अनोखी तस्वीरें एस्ट्रोनॉट बॉब बेनकेन ने ली थीं। नासा के अनुसार नियोवाइज (Neowise) सूरज के चारों तरफ अपना चक्कर 6800 सालों में एक बार लगाता है। यानी यह धूमकेतु अब करीब 6000 साल बाद ही दोबारा लौट पाएगा। इसलिए खगोलविद इस घटना को ऐतिहासिक मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार धूमकेतु को सूर्योदय से ठीक पहले सुबह करीब 4.13 से 4.45 बजे के बीच उत्तर-पश्चिम की दिशा में देख सकते हैं। दूरबीन से इसे साफ तौर पर देखा जा सकता है, जबकि आंखों से ये थोड़ा धुंधला दिख सकता है।
इस धूमकेतु का वैज्ञानिक नाम C/2020 F3 NEOWISE है। जबकि आम भाषा में इसे नियोवाइज के नाम से जाना जाता है। चूंकि नासा ने इसे नियर-अर्थ ऑबजेक्ट वाइड फील्ड इंफ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (NEOWISE) मिशन के तहत खोजा था। इसीलिए इसका नाम उसी आधार पर रखा गया है। धूमकेतु का लंबाई करीब 5 किलोमीटर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि नियोवाइज का जन्म करीब 4.6 बिलियन साल पहले हुआ होगा।