रिपोर्ट में कहा गया है कि डीडीओएस के हमले मात्रा, गति और जटिलता के मामले में अप्रत्याशित, निरंतर और विविध रूप से अलग थे। तिमाही के दौरान करीब 50 फीसदी ग्राहकों ने इस हमले का अनुभव किया। वेरीसाइन ने कहा कि डीडीओएस के 74 फीसदी हमलों ने कई हमले के प्रकारों को कम कर दिया।
रिपोर्ट में पाया गया, यूजर डेटाग्राम प्रोटोकोल के हमले इस तिमाही में हावी रहे, इसने कुल 57 फीसदी हमले किए हैं। बाकी के बचे सबसे आम यूडीपी जिसमें डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस), नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (एनटीपी), सरल सेवा डिस्कवरी प्रोटोकॉल (एसएसडीपी) और लाइटवेट डायरेक्ट्री एक्सेस प्रोटोकॉल (एलडीएपी) चिंतनशील विस्तारण हमले शामिल थे। आईटी (52 प्रतिशत) और वित्तीय क्षेत्र (31 प्रतिशत) हमलों के निरंतर लक्ष्य बने रहे हैं।
वित्तीय साइबर अपराध पर अंतर-मंत्रीस्तरीय समिति गठित करेगी सरकार
नई दिल्ली। सरकार ने वित्तीय साइबर अपराध में हुई वृद्धि की जांच के उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए अंतर-मंत्रीस्तरीय समिति गठित करने का फैसला किया है। यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया जहां उन्होंने वित्तीय क्षेत्र में बढ़ते साइबर अपराध को समाप्त करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की। उन्होंने कार्ड और इ-वैलेट का इस्तेमाल कर साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक बैठक में वित्तीय साइबर अपराध से निपटने की रणनीति पर चर्चा हुई। विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों ने इस संबंध में प्रस्तुति दी और देश में वित्तीय साइबर अपराध के मौजूदा ट्रेंड के बारे में और इस समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से मंत्री को अवगत कराया।
बयान के मुताबिक, इस स्थिति से निपटने के लिए कानूनी और तकनीकी, दोनों कदम उठाए जाने की जरूरत है। बैठक में पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों, फोरेंसिक वैज्ञानिकों, बैंक अधिकारियों समेत तमाम साझेदारों की क्षमता विस्तार पर भी जोर दिया गया।
सिंह ने सभी संबंधित एजेंसियों को तय समय सीमा में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए और इस संबंध में संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने की महत्ता पर जोर दिया। बयान के अनुसार, इसका निर्णय पहले ही ले लिया गया था कि अंतर-मंत्रीस्तरीय समिति का गठन कार्रवाई बिंदू की पहचान और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए किया जाएगा। बैठक में गृह सचिव राजीव गौबा, वित्तीय सेवा के शीर्ष अधिकारी, खुफिया ब्यूरो और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक के अलावा दिल्ली पुलिस के अधिकारी मौजूद थे।