scriptक्या भारत में एबीबीएस बस नाम को रह जाएगी? | do MBBS is not more important than a pg degree in coming years | Patrika News
विज्ञान और टेक्नोलॉजी

क्या भारत में एबीबीएस बस नाम को रह जाएगी?

तकनीक की बढ़ती भूमिका के इस दौर में अब एमबीबीएस होने से काम नहीं चलेगा, डॉक्टर्स को किसी न किसी एरिया में विशेषज्ञ होना पड़ेगा।

Feb 14, 2021 / 08:59 pm

Mohmad Imran

क्या भारत में एबीबीएस बस नाम को रह जाएगी?

क्या भारत में एबीबीएस बस नाम को रह जाएगी?

जिस तेज़ी से हम तकनीक को गले लगा रहे हैं और हमारे अस्पताल आधुनिक होते जा रहे हैं, उससे आने वाले सालों में डॉक्टर्स को भी उसी तेज़ी को टेक्नो सैव्वी बनाना होगा। मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना कि इबोला, कोरोना, जैसी संक्रमण फैलाने वाली बीमारियों के इस दौर में केवल mbbs होने से काम नहीं चलेगा। देश के जाने-माने कार्डियक सर्जन पद्म भूषण देवी प्रसाद शेट्टी ने एक इंटरव्यू में कहा कि तकनीक की बढ़ती भूमिका के इस दौर में अब एमबीबीएस होने से काम नहीं चलेगा, डॉक्टर्स को किसी न किसी एरिया में विशेषज्ञ होना पड़ेगा। क्योंकि अब नई और पहले से कहीं घातक बीमारियों से हमारा सामना हो रहा है ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा स्पेशलिस्ट्स की जरूरत है।

केवल 3 सावधानियों से खत्म हो सकती है 90 फीसदी स्वास्थ्य समस्याएं
आज पूरी दुनिया में टीबी, एचआइवी और मलेरिया से हर साल 40 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। जबकि सुरक्षित सर्जरी तक पहुंच न होने की वजह से दुनिया में सालाना 7 करोड़ (70 मिलियन) लोगों की मौत हो जाती है। इतना ही नहीं अगर तीन बुनियादी जरूरतों- आपातकालीन सीजेरियन सेक्शन, एपेंडिक्स बर्स्ट होने पर लैपरोटॉमी और गंभीर फ्रैक्चर्स के लिए सर्जरी पर भी ठीक से ध्यान दें तो देश की 90 फीसदी हैल्थकेयर समस्याओं से निपटा जा सकता है।

भारत में एआइ के सामने यह समस्या
हैल्थकेयर सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक के इस्तेमाल का रास्ता भारत में थोड़ा चुनौती भरा है। दरअसल, डेटा एनालिसिस और एआइ के लिए बड़ी संख्या में data की जरुरत होती है, लेकिन भारत में आज भी 95 फीसदी अस्पतालों में इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकार्ड्स (ईएमआर) नहीं है। वहीं मैन्युअल डेटा पर सौ फीसदी भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए देश के सभी अस्पतालों में ईएमआर व्यवस्था लागू न होने से हैल्थकेयर सेक्टर में डेटा एनालिसिस और एआइ की भूमिका अब भी सीमित ही है। वहीं लोगों को भी अपना हैल्थ रेकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में रखना होगा।

Home / Science & Technology / क्या भारत में एबीबीएस बस नाम को रह जाएगी?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो