script56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने ढूंढा था पहला कोरोना वायरस | Dr June Almeida, The Woman Who Discovered The First Corona virus | Patrika News
विज्ञान और टेक्नोलॉजी

56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने ढूंढा था पहला कोरोना वायरस

-नोवेल कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। वैज्ञानिकों ने हाल ही 6 नए कोरोना वायरस भी ढूंढ लिए हैं। लेकिन दुनिया में सबसे पहले कोरोना वायरस की खोज स्कॉटलैंड की डॉ. जून अल्मीडा ने लंदन स्थित अपनी लैब में 1964 में की थी।

Apr 20, 2020 / 12:54 pm

Mohmad Imran

56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने ढूंढा था पहला कोरोना वायरस

56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने ढूंढा था पहला कोरोना वायरस

नोवेल कोरोना वायरस के कोविड-19 संक्रमण से दुनिया के शक्तिशाली देश भी हार मान चुके हैं। पूरी दुनिया में इस वायरस के कारण 161,270 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 23,50,062 लोग अब भी संक्रमित हैं। ऐसे में आज हर कोई कोरोना वायरस से भली-भांति परिचित है। इस महामारी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आज पूरी दुनिया को झुकने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल कोविड-19 कोरोना वायरस परिवार का सातवां सदस्य और कोरोनावायरस का एक उप-प्रकार है जिसे पहली बार 1964 में खोजा गया था। इस वायरस को सबसे पहले दुनिया के सामने लाने का काम किया था स्कॉटलैंड की डॉ. जून अल्मीडा ने। उन्होंने लंदन स्थित सेंट थॉमस अस्पताल की अपनी लैब में एक प्रयोग के दौरान इस वायरस की खोज की थी। स्कॉटलैंड में 1930 में जन्मीं जून इम्यूनो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी की वैज्ञानिक थीं। लेकिन १६ साल की उम्र में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी।
56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने ढूंढा था पहला कोरोना वायरस
विकसित की नई प्रणाली
विज्ञान में अपनी रुचि के कारण वे ग्लासगो रॉयल इन्फर्मरी में हिस्टोपैथोलॉजी में एक प्रयोगशाला तकनीशियन बन गईं । लंदन में अपने कॅरियर को आगे बढ़ाने के बाद उन्होंने ओंटारियो कैंसर संस्थान में एक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के साथ नएवायरसों की खोज करनी शुरू की। अपने असाधारण कौशल के साथ उन्होंने एक ऐसा तरीका विकसित किया जो एंटीबॉडीज का उपयोग करके उन्हेंएक जगह एकत्र कर बेहतर ढंग से वायरस को देखने में मदद करता था। लंदन स्थित सेंट थॉमस अस्पताल वही अस्पताल है जहां हाल ही ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कोरोना से संक्रमित होने के बाद उपचार किया गया है।
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ऐसे की वायरस की खोज
उस समय डॉ. डेविड टायरेल विल्टशायर के सैलिसबरी में सामान्य सर्दी-जुकाम पर शोध कर रहे थे। उन्होंने पाया कि वे सामान्य सर्दी से जुड़े कुछ वायरस विकसित करने में सक्षम थे, लेकिन सभी नहीं। विशेष रूप से एक नमूना जिसे उन्होंने बी 814 कहा वहउसे देख नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने इम्यून-इलेक्ट्रॉन-माइक्रोस्कोपी में विशेषज्ञ डॉ. जून की सहायता ली। डॉ. डेविडके भेजे नमूनों की जांच करने के बाद डॉ. जून ने बी 814 को इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह बताया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह इन्फ्लूएंन्जा से काफी हद तक अलग भी है। उनकी इस खोज को पहले मानव कोरोनावायरस के रूप में जाना गया। डॉ. जून वे पहली वैज्ञानिक थीं जिन्होंने ऐसी संरचनाएं देखी थीं जब वह चूहे के हेपेटाइटिस और संक्रामक ब्रोंकाइटिस की जांच कर रही थी। डॉ। जून द्वारा ली गईं इन तस्वीरों को दो साल बाद जनरल वायरोलॉजी में प्रकाशित किया गया था। 2007 में 77 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
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