इंस्टीट्यूट के रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर एंडी एशवंडन के अनुसार- यह कहना मुश्किल होगा कि हजार वर्षो के बाद भी ग्रीनलैंड अपने वर्तमान स्वरूप में रहेगा! ग्रीनहाऊस गैसों का हो रहा है अधिक उत्सर्जन
इस अध्ययन में यह बताया गया है कि वायुमंडल में ग्रीनहाऊस गैसें बढ़ने के कारण बर्फ लगातार पिघल रही है और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। वर्तमान में पृथ्वी पर ग्रीनहाऊस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन हो रहा है।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने नासा के हवाई विज्ञान अभियान के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जिसे ‘ऑपरेशन आइसब्रिज’ कहा जाता है। इस अभियान के लिए प्रयुक्त विमान तीन प्रकार के राडार और वैज्ञानिक उपकरणों से लैस थे, जो बर्फ की सतह को मापने के साथ-साथ बर्फ की भीतरी परत और जमीन का डाटा आसानी से एकत्र कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार- ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर 660,000 वर्ग मील में पसरी हुई है और 81 फीसदी बर्फ ग्रीनलैंड को ढके हुए है। इसमें पृथ्वी के ताजे पानी के कई स्रोत भी शामिल हैं। यदि इसी तरह से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ना जारी रहा, वर्तमान समय के अनुसार वर्ष 3000 तक बर्फ पिघलने से वैश्विक स्तर पर समुद्र का जल स्तर 24 फीट तक बढ़ जाएगा। इसके कारण हो सकता है कि सेन फ्रांसिस्को, लॉस एंजलिस, न्यू ऑर्लेयंस जैसे शहर पानी में डूब जाएं।