जिस प्रकार मानव अपनी दोनों आंखों से एक ही जगह देख पाता है उसके उलट समुद्री घोड़े की दोनों आंखें अलग अलग जगह पर देख पाने में सक्षम हैं। मादा के सिर पर नहीं बच्चों की जिम्मेदारी – इस प्रजाति में बच्चे पैदा करने की जिम्मेदारी नर पर होती है। दरअसल नर समुद्री घोड़े के पेट पर कंगारू की तरह थैली होती है। मादा इसी थैली में अंडे देती है और दूर चली जाती है। इसके बाद सारी जिम्मेदारी नर की होती है जो हर समय इनको सेता है और तभी बच्चे अंडों से बाहर निकल आते हैं।
अंडों से बच्चे बनने में लगभग डेढ़ माह का समय लगता है। इसके बाद नर थैली खोलकर बच्चों को समुद्र में छोड़ देता है। नर समुद्री घोड़ा एक वर्ष में अंडों को तीन बार अपनी थैली में “से” सकता है। एक बार में वह इसमें पचास अंडों को रख सकता है। मादा से मिलने के बाद ५ सप्ताह में इसके पेट की थैली में अंडे तैयार हो जाते हैं।
कोई नहीं खाने वाला – आपको जानकर अचंभा होगा कि समुद्री घोड़े को कोई अपना आहार नहीं बनाता। मछलियां इसे खाना पसंद नहीं करती और इंसान भी इसका खाने के लिए शिकार नहीं करते।
समुद्री घोड़ा दुनिया की एकमात्र ऐसी मछली है जिसकी गरदन होती है। इसके दांत और पेट नहीं होता। यह अपने गलफड़ों से सांस लेता है। जहां तक गति की बात की जाए तो यह समुद्र में तैरने वाली सबसे धीमी मछली में शुमार किया जाएगा।