एक्सप्रेसिव राइटिंग (Expressive Writing)
इसका उपयोग अक्सर चिकित्सीय इलाज में उपयोग किया जाता है। जहां लोगों को अपने तनावपूर्ण जीवन की घटना से संबंधित अपने विचारों और भावनाओं के बारे में लिखने के लिए कहा जाता है। इसका उद्देश्य मन में दबी किसी अनकही भावना या जटिल बातों को भावनात्मक रूप से अभिव्यक्त करने में मदद करना है। सियर्च से पता चला है कि एक्सप्रेसिव राइटिंग हमारी आत्म-जागरूकता को बढ़ा सकता है। अंतत: अवसाद के लक्षणों, चिंतित विचारों और कथित तनाव को कम कर सकता है।
चिंतनशील लेखन (Reflective Writing)
अक्सर इस तरह की लेखन शैली को नर्सां, डॉक्टरों, शिक्षकों, मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके पेशे में ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। चिंतनशील लेखन का उद्देश्य लोगों को कुछ नया सीखने और व्यक्तित्व विकास के लिए अपने व्यवहार और कार्यों का आकलन करने का एक तरीका प्रदान करना है। इससे कार्य प्रदर्शन में सुधार के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है।
रचनात्मक लेखन (Creative Writing)
कविताएं, लघु कथाएं, उपन्यास और कहानियां रचनात्मक लेखन का ही रूप हैं। रचनात्मक लेखन विचारों, भावनाओं, आइडिया और अपने विश्वासों का पता लगाने का अनूठा तरीका है। गहहरे दुखों की स्थिति में रचनात्मक रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से उस दर्द से लडऩे की शक्ति मिलती है। जो लगता है कि बहुत जटिल या सीधे कह पाना मुश्किल है। दरअसल, रचनात्मक लेखन लोगों को अपने शब्दों के साथ ही रूपकों और छवियों को इस तरह से चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है जो वास्तव में उसकी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होती हैं। रचनात्मक निर्णय लेने से आत्म-जागरूकता और आत्म-सम्मान के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य में भी स्थिरता आती है।
लिखना इसलिए जरूरी
नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने हाथ से लिखते और टाइपिंग करते समय बच्चों और वयस्कों के दिमाग की हलचल (ब्रेनवेव पैटर्न) का विश्लेषण किया है। शोध के निष्कर्षों के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि कीबोर्ड पर टाइप करने की तुलना में हाथ से लिखने पर हम ज्यादा बेहतर ढंग से किसी चीज को सीख पाते हैं। हाथ से लिखना धीमी प्रक्रिया है लेकिन दिमाग के सर्किट को मजबूत करने के लिए जरूरी है। हाथ से लिखने के लिए मोटर स्किल्स और इन्द्रियों पर नियंत्रण की जरूरत होती है। शोध के अनुसार हाथ से लिखने पर मस्तिष्क के पेरीटिएल और सेंट्रल हिस्से में सिंक्रोनाइज गतिविधियां होती हैं। दिमाग के ये हिस्से याद रखने और नई जानकारियों को समझने में मदद करते हैं।