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आईआईटी छात्र ने विकसित किया पोर्टेबल पैथोलॉजी मोबाइल लैब

आईआईटी रूड़की के एक पूर्व छात्र ने अत्यंत कम खर्च में देश के गांवों एवं दूरदराज इलाकों में बीमारियों की जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराने की पहल करते हुए पोर्टेबल पैथोलॉजी मोबाइल लैब विकसित किया 

Dec 08, 2015 / 10:26 am

भूप सिंह

IIT khadakpur

IIT khadakpur

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की के एक पूर्व छात्र ने अत्यंत कम खर्च में देश के गांवों एवं दूरदराज इलाकों में बीमारियों की जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराने की पहल करते हुए पोर्टेबल पैथोलॉजी मोबाइल लैब विकसित किया है जो अपनी तरह का दुनिया का संभवत: पहला मोबाइल लैब है। इस मोबाइल लैब का विकास करने वाले अमित भटनागर ने 2003 में आईआईटी, रूड़की से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक करने के बाद कई वर्षों तक अमरीका में अच्छे खासे पैकेज पर नौकरी की लेकिन देश के लोगों के लिये कुछ करने की ललक लेकर 2008 में स्वदेश लौट कर इस मोबाइल लैब का विकास किया। उन्हें इस लैब के विकास के लिए भारत सरकार के प्रौद्योगिकी नवाचार बोर्ड (टीआईबी) की ओर से वित्तीय सहायता भी मिली और इस लैब को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा उत्पाद का पुरस्कार भी मिल चुका है।

एक बड़े सुटकेस सरीखे इस मोबाइल लैब को आईआईटी दिल्ली के परिसर में भारत के अब तक के सबसे बड़े विज्ञान मेले में प्रदर्शित किया जा रहा है। इस मोबाइल लैब का इस्तेमाल पहाड़ की बफीर्ली चोटियों से लेकर अत्यंत गर्म रेगिस्तानी इलाकों में भी हो सकता है और इस लैब की मदद से बहुत कम लागत पर विभिन्न बीमारियों की जांच की जा सकती है। इस लैब को अमेरिका सहित 50 से अधिक देशों में पेटेंट हासिल हो चुका है तथा इसे अमरीका के खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) से प्रमाणित किया जा चुका है।

अमित भटनागर ने बताया कि इस मोबाइल लैब का इस्तेमाल सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), भारतीय सेना, सीआरपीएफ, हरियाणा एनआरएचएम, केरल एनआरएचएम, उत्तराखंड सरकार के अलावा वोकहार्ट, हेल्पेज इंडिया, अमर उजाला फाउंडेशन जैसी अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल लेह और कारगिल से लेकर दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड एवं केरल में मोबाइल चिकित्सा वाहनों में इस्तेमाल हो रहा है। दिल्ली में एनडीएमसी चरक पालिका हास्पीटल और आम आदमी क्लीनिक में भी इस्तेमाल हो रहा है।

अमित भटनागर ने कहा कि हमारे देश में 95 करोड़ लोगों को चिकित्सकीय जांच की सुविधाएं नहीं मिलती और बीमारियों की समय पर जांच एवं उनका इलाज नहीं होने के कारण 57 लाख लोगों की मौत हो जाती है। बीमारियों के प्रकोप को रोकने में यह मोबाइल लैब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस मोबाइल लैब को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती। इसे सोलर पैनल एवं बैटरी से चलाया जा सकता है। इस लैब के जरिए लिपिड प्रोफाइल और किडनी फंक्शन, ईसीजी, बीएमआई, रक्त चाप और ग्लूकोज समेत 57 से अधिक तरह की जांच की जा सकती है।

इस मोबाइल लैब की कीमत करीब चार लाख रुपए है और इसे आसानी से कहीं भी लाया ले जा सकता है। इसका उत्पादन एवं व्यावसायिक वितरण एक्युस्टर टेक्नोलॉजी की ओर से किया जा रहा है। यह मेला आठ दिसंबर तक सुबह साढ़े दस बजे से लेकर शाम छह बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहेगा।

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