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विज्ञान और टेक्नोलॉजी

मंगल की कक्षा में मंगलयान के तीन वर्ष पूरे

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलयान को 5 नवम्बर 2013 को प्रक्षेपित किया गया था

Sep 24, 2017 / 07:04 pm

जमील खान

Mangalyaan

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बेंगलूरु। देश के पहले अंतरग्रहीय अभियान मंगलयान ने रविवार को मंगल ग्रह की कक्षा में परिक्रमा करते हुए तीन साल पूरे कर लिए। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विश्व के इस सबसे सस्ते मिशन को सिर्फ छह महीने के लिए भेजा था मगर तीन साल बाद भी यह यान सक्रिय है।
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलयान को 5 नवम्बर 2013 को प्रक्षेपित किया गया था और लगभग 300 दिनों की यात्रा कर 24 सितम्बर 2014 को यह इस यान ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया।

तब से मंगल ग्रह की कक्षा में परिक्रमा करते हुए यान ने वैज्ञानिकों को काफी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं। मंगलयान ने अभी तक मंगल की 400 से अधिक परिक्रमाएं की हैं और अहम आंकड़े भेजे हैं जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है। कम बजट, बेहद उपयोगी पांच विविध वैज्ञानिक उपकरणों (पे-लोड) और पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचने के कारण मंगलयान विश्व के सफलतम अंतरग्रहीय मिशनों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय यान ने मिशन उद्देश्यों को पूरा करने के साथ ही कई अहम अनुसंधान भी किए हैं। मंगल की धरती पर मौजूद सल्फेट और लोहा जैसे धातुओं की पहचान, मंगल ग्रह की अनदेखी तस्वीरों के अलावा धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग के मंगल के करीब से गुजरने की तस्वीरें भेजी। इस दौरान मंगलयान पर कई बाधाएं आई मगर सुरक्षित रहा और अगले कई वर्षों तक मंगल की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा।
2017 में सबसे बड़ा मैलवेयर अभियान है ‘लॉकी’
न्यूयॉर्क। लॉकी रैंसमवेयर के फिर से उभरने और ईमेल को बाधित करने के अभियान के बीच इसे वर्ष 2017 के उत्तरार्ध का सबसे बड़ा मैलवेयर अभियान कहा गया है। जिस रैंसमवेयर हमले को समाप्त मान लिया गया था अब फिर से इसके खतरे बरकरार हैं और यह इससे साबित होता है कि 28 अगस्त को मात्र 24 घंटे के अंदर अमेरिका में करीब 23 लाख ईमेल मालवेयर भेजे गए।
इन मेल में विषय के तौर पर ‘कृपया प्रिंट करें’, ‘दस्तावेज’ और ‘स्कैन’ लिख कर भेजा गया था। अमरीका स्थित साइबर सिक्युरिटी फर्म एपरिवर ने इस मैलवेयर का खुलासा करते हुए कहा कि यह 2017 के उत्तरार्ध का सबसे बड़ा मैलवेयर अभियान है।
बताया गया कि मैलवेयर पेलोड एक जिप फाइल में विजुअल बेसिक स्क्रिप्ट (वीबीएस) फाइल में छुपा हुआ था, जिसे एक बार क्लिक करने पर, लॉकी रैन्समवेयर का नवीनतम संस्करण डाउनलोड हो जाएगा।

पीडि़तों को उनकी फाइल वापस पाने के लिए ‘लॉकी डिक्रिप्टर’ के रूप में ‘विशेष सॉ$फ्टवेयर’ के भुगतान के लिए 0.5 बिटकोइन (2,300 डॉलर) की मांग करने वाला एक फिरौती नोट प्रस्तुत किया जाता है।
टोर ब्राउजर को डाउनलोड और इंस्टॉल करने के साथ-साथ बिटकॉइन को खरीदने के लिए निर्देश हमलावरों द्वारा दिए जाते हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पीडि़त भुगतान कर दें। इस साल की शुरुआत में, मई सेे शुरू हुए वान्ना क्राई, माम्बा और पेटिया से जुड़े समन्वित रैंसमवेयर हमले हुए जो कि दुनियाभर के व्यवसायों के लिए आंखें खोलने वाला था।
लॉकी रैनसमवेयर के भारत में आने की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार ने शनिवार को देश भर के उपयोगकर्ताओं को इससे सतर्क रहने की चेतावनी दी है। भारतीय कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (आईसीईआरटी) के मुताबिक, ‘स्पैम मेल्सÓ का इस्तेमाल रैंसमवेयर को फैलाने के लिए किया जा रहा है।
एजेंसी ने सभी उपयोगकर्ताओं को मेल खोलते समय सावधानी बरतने और संदिग्ध फाइल संलग्नक से बचने की हिदायत दी है इसकेसाथ-साथ संगठनों को स्पैम ब्लॉक सूचियों और स्पैम अवरोधों को अपडेट करने के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

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