script360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर | Oceans are warming as if five Hiroshima bomb dropped per second | Patrika News
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360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर

वैज्ञानिकों की मानें तो दुनिया के महासागर अब उसी दर से गर्म हो रहे हैं जिस दर से हिरोशिमा में पानी में गिराए गए परमाणु बम से प्रत्येक सेकंड पानी उबल रहा था।

Jan 25, 2020 / 10:06 pm

Mohmad Imran

360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर

360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर

बीते सप्ताह जारी एक नए अध्ययन के अनुसार 2019 ने अब तक के इतिहास में महासागरों के सबसे ज्यादा गर्म (ocean warming) होने में नए रेकार्ड बनाए हैं। बीते साल महासागरों के पानी का तापमान अब तक के उच्चतम बिंदु तक पहुंच गया है। 14 वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने 1950 के दशक से अब तक उपलब्ध महासागर के गर्म होने के आंकड़ों की जांच की। इस प्रक्रिया में समुद्र की सतह से 2 हजार मीटर की गहराई तक पानी के तापमान को मापते हैं। एडवांस इन एटमॉस्फेरिक साइंसेज में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार हमारे महासागर लगातार बढ़ती गर्मी से गर्म हो रहे हैं। जबकि बीते पांच सालों में दर्ज किया गया तापमान वैश्विक महासागरों के तापमान पिछले दशक की तुलना में सबसे गर्म रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक और मुख्य जलवायु विश्लेषक केविन ट्रेंबर्थ का कहना है कि अधिकांश गर्मी मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण है।
360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर
32 सालों में 450 फीसदी वृद्धि
अध्ययन से पता चलता है कि 1955 और 1986 के बीच महासागरों का तापमान तेजी से बढऩे लगा। लेकिन वैज्ञानिक यह जानकर हैरान रह गए कि 1987 से 2019 के बीच करीब 32 सालों में महासागरों का तापमान पूर्व की तुलना में 450 फीसदी की दर से बढ़ा है। चीन के विज्ञान अकादमी में पेपर सेंटर के प्रमुख लेखक और इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट एंड एनवायरमेंटल साइंसेज में प्रोफेसर लिजिंग चेंग ने कहा कि 2019 में समुद्र का तापमान साल 1981 से 2010 के औसत तापमान से 0.075 डिग्री सेल्सियस अधिक था। चेंग ने बताया कि इस तापमान तक पहुंचने के लिए महासागरों को 228 सेक्स्टिलियन (28 sexitilion) ऊष्मा अपने अंदर समाहित करनी पड़ी है। सरल शब्दों में बीते 25 सालों में हमने महासागरों में हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम के समान 360 करोड़ परमाणु बम विस्फोटों से उत्पन्न ऊष्मा महासागरों में प्रवाहित की है। यह एक सदी की प्रत्येक दूसरी तिमाही में समुद्रों में हिरोशिमा परमाणु बम गिराने के बराबर है। लेकिन यह सिलसिला अभी थमा नहीं है बल्कि और तेज हो गया है। अध्ययन में शामिल सेंट थॉमस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शोध के लेखक जॉन अब्राहम के अनुसार आज हम प्रत्येक सेकंड 5 से 6 हिरोशिमा बम के विस्फोट जितनी गर्मी पैदा कर रहे हैं।
360 करोड़ हिरोशिमा परमाणु बम जितनी गर्मी सोख चुके हमारे महासागर
90 फीसदी शैवाल नष्ट
अनुमान है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से उबर रहे मालदीव के समुद्रों में 90 फीसदी कोरल या शैवाल नष्ट हो चुकी हैं। ocean’s का बढ़ता तापमान पृथ्वी की बदल रही भौगोलिक परिस्थितियों कें बारे में सटीक संकेत दे रही हैं। अध्ययन के अनुसार 1970 तक पृथ्वी की 90 फीसदी गर्मी समुद्र में ही समाहित हो जाती थी। जबकि 4 प्रतिशत से भी कम ऊष्मा धरातल और पर्यावरण में मिल जाती थी। समुद्र का बढ़ता तापमान इस बात का भी संकेत है कि उसके पानी में बहुत कम ऑक्सीजन बची है और वह समुद्री जीव-जुन्तुओं के लिए घातक अम्ल में बदल गया है। यह बढ़ता तापमान समुद्री धाराओं और मौसम के कारकों को भी विरुपित कर रहा है। चेंग का कहना है कि इसे रोकने का एक ही तरीका है कि हम सभी पर्यावरण के प्रति गंभीर हो जाएं और कार्बन फुटप्रिंट्स कम से कम करें।
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