हवा में ईंधन भरने के दौरान विमान की रफ्तार 270 नॉट (करीब 500 किमी प्रति घंटा) थी। एयर टू एयर हवा भरने के बाद भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो ऐसा कर सकते हैं। इन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना को ताकतवर बनाना संस्थान और उनका पहला ध्येय है। इसके लिए नई तकनीक विकसित करने पर काम हो रहा है जिससे देश की सुरक्षा हर स्तर पर चाक चौबंद रहे। इन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी रायपुर) छत्तीसगढ़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद आइआटी मद्रास से मास्टर्स की डिग्री ली है। जुलाई 1982 में एचएएल से कॅरियर की शुरुआत की थी और 36 वर्षों से देश की सेवा में लगे हैं। इन्हें सुखोई एसयू-30 विमान का एयरफ्रेम और इंजन संबंधी पुर्जे डिजायन करने का अनुभव है। इनका लक्ष्य है कि देश में ही विमानों के अधिक से अधिक उपकरण निर्मित किए जाएं जिससे देश को कम लागत में उच्च कोटी की तकनीक मिल सके। लड़ाकू विमान तेजस भारतीय वायुसेना का सबसे महत्वपूर्ण जंगी जहाज है युद्ध के मैदान में दुश्मन देश को हवा से मारकर नेस्तानबुत कर सकता है। हिंदुस्तान एयरोनॉस्टि लिमिटेड से वायुसेना ने 83 और तेजस विमान मांगे हैं।