रैनसमवेयर हमले नई बात नहीं हैं। चिंताजनक बात यह है कि फिरौती की रकम जबर्दस्त रूप से बढ़ गई है। अब यह लाखों डॉलर तक पहुंच गई है और लक्ष्य भी अधिक परिष्कृत हैं। बिटकॉइन के व्यापक उपयोग जैसी चीजों के साथ-साथ अपने सिस्टम को जोडऩे और अधिक रिमोट एक्सेस पॉइंट जोडऩे वाली कंपनियों की बढ़ती संख्या ने लक्ष्यों के पूल को चौड़ा कर दिया है। साइबर अपराधियों ने कभी छोटी कम्पनियों और व्यक्तियों पर फोकस किया था, लेकिन इस वर्ष हाई-प्रोफाइल लोगों पर हमलों से इसे सुर्खियां मिलीं। गैर-लाभकारी समूह साइबर थ्रेट एलायंस के अध्यक्ष और सीईओ माइकल डेनियल के अनुसार, रैनसमवेयर वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है।
गौरतलब है कि रैनसमवेयर हमलों के लिए आवश्यक आधुनिक तकनीक काफी हद तक पहले से ही मौजूद है। हैकर्स आमतौर पर ‘फिशिंग’ हमलों के माध्यम से कंपनियों के सिस्टम तक पहुंचते हैं। जालसाजी वाले ईमेल के जरिए कर्मचारियों से पासवर्ड या एक्सेस लेते हैं। कम्पनी के सिस्टम में एक बार प्रवेश कर जाने के बाद रैनसमवेयर संगठन महत्त्वपूर्ण जानकारी जुटाने के बाद उसे लॉक कर देते हैं और फिर उसे जारी करने के लिए कम्पनी से फिरौता की मांग करते हैं। हैकर्स कभी-कभी एक्सेस सूचनाओं की कॉपी कर लेते हैं और भुगतान न किए जाने पर निजी जानकारियों को ऑनलाइन लीक करने की धमकी देते हैं। डेटा लीक कम्पनियों के लिए ही नहीं, उपभोक्ताओं के लिए भी बड़ा मुद्दा हो सकता है। ड्रैगोस के प्रमुख ली कहते हैं कि रैनसमवेयर हमलावर दवा कम्पनियों या किसी भी निर्माता की पाइपलाइन पर हमला कर सकते हैं, जिससे जीवनरक्षक दवाओं, यहां तक कि वैक्सीन में भी देरी हो सकती है।