विज्ञान और टेक्नोलॉजी

धरती की ओर 16 लाख किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा सौर तूफान, जानिए क्या पड़ेगा असर

16 लाख किलोमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा Solar Storm, अगले 24 से 48 घंटे में धरती से टकराने की संभावना

Jul 10, 2021 / 02:47 pm

धीरज शर्मा

नई दिल्ली। धरती की ओर तेजी से एक बड़ा खतरा बढ़ रहा है। दरअसल सूरज की सतह से पैदा हुआ शक्तिशाली सौर तूफान ( Solar Storm ) 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है। इस सौर तूफान के रविवार या सोमवार को किसी भी समय धरती से टकराने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट सिग्नलों ( Satalite Signal ) से लेकर विमानों की उड़ान तक को लेकर चेतावनी दी है।
जुलाई के शुरुआती दिनों में सूरज (Sun) की सतह से पैदा हुआ शक्तिशाली सौर तूफान 16 लाख 09 हजार 344 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।

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वैज्ञानिकों ने दी इस बात की चेतावनी
इस तूफान के चलते वैज्ञानिकों को चेतावनी जारी की है। इसके तहत लोगों को जरूरी ना हो तो विमान यात्रा करने से बचने को कहा गया है, क्योंकि सैटेलाइट सिग्नलों में बाधा आ सकती है। विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन और मौसम पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
रात में दिखेगी तेज रोशनी
इस सौर तूफान को लेकर स्पेसवेदर डॉट कॉम वेबसाइट ने भी जानकारी साझा की है। वेबसाइट के मुताबिक, सूरज के वायुमंडल से पैदा हुए इस सौर तूफान की वजह से धरती के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष के एक क्षेत्र में काफी प्रभाव देखने को मिल सकता है।
यही नहीं उत्तरी या दक्षिण अक्षांशों पर रहने वाले लोगों को रात में सुंदर अरोरा दिख सकता है। दरअसल ध्रुवों के पास आसमान में रात के समय तेज रोशनी रोशनी दिखने को आरोरा कहा जाता है।
NASA के मुताबिक सौर तूफान की रफ्तार 16 लाख किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा हो सकती है। ऐसे में अगर अंतरिक्ष से महातूफान फिर आता है तो धरती के लगभगर हर शहर से बिजली गुल हो सकती है।
धरती पर पड़ेगा ये असर
धरती की ओर बढ़ रहे सौर तूफान के चलते वायुमंडल गर्म हो सकता है। ऐसे में इसका सीधा असर सैटेलाइट पर पड़ेगा। इसके अलावा जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है।
यही नहीं पावर लाइंस में करंट भी तेज हो सकता है, जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि जानकारों की मानें तो ऐसा कम ही देखने को मिलता है। क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इस खतरे के खिलाफ कवच का काम करता है।
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22 वर्ष पहले भी हो चुका ऐसा
ये पहली बार नहीं है जब सौर तूफान धरती की ओर आ रहा है। करीब 22 वर्ष पहले 1989 में भी सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्‍यूबेक शहर में 12 घंटे के लिए बिजली गुल हो गई थी। इसके साथ ही लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
इससे पहले वर्ष 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्‍नेटिक तूफान ने यूरोप और अमरीका में टेलिग्राफ नेटवर्क को तबाह कर दिया था।

कुछ ऑपरेटर्स को बिजली का झटका भी लगा था। उस दौरान रात में भी इतनी तेज रोशनी हुई थी कि नॉर्दन अमरीका में बगैर लाइट के भी लोग अखबार पढ़ पा रहे थे।

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