हाल ही उनकी कंपनी न्यूरालिंक ने एक ऐसी चिप विकसित की है जो इंसानी दिमाग को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ जोडऩे का काम करेगी। मस्क ने इसके बारे में बताते हुए कहा कि एआइ-इंफ्यूज्ड चिप इंसानी दिमाग की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी। यह लोगों के दिमाग के लिए एक सुपर कम्प्यूटर हार्ड ड्राइव जैसी होगी। यह बहुत सूक्ष्म सतर पर इलेक्ट्रोन से न्यूट्रॉन इंटरफेस की तरह काम करेगी। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं मशीन और इंसानी दिमाग का यह संगम उन्हें मेरुदंड की चोटों से उबरने, याददाश्त में सुधार और डिमेंशिया जैसे खतरों से भी बचाएगा।
मस्क ने कहा कि मशीनी बुद्धि के उदय के साथ ही इंसान पिछडऩे लगे हैं। मशीनें आज तेजी से अपने-आसपास की चीजों के प्रति प्रतिक्रिया करने लगी हैं। अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन हम मशीनों के बनाए जू में कैद किए हुए वन्य जीवों की तरह होंगे जिनसे उनका प्राकृतिक आवास छीन लिया जाएगा। हम आज इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं लेकिन हमारी निर्भरता इन पर तेजी से बढ़ रही है। मस्क ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तुलना शैतान से करते हुए कहा कि भविष्य में ये विनाश के हथियारों पर नियंत्रण कर पूरी मानव जाति को तबाह कर सकती हैं। इतना ही नहीं ये तीसरे विश्वयुद्ध का कारण भी बन सकती हैं। उन्होंने सुपर कम्प्यूटर्स को इंसान के लिए वास्तविक खतरा बताया।
न्यूरालिंक की ओर दावा किया गया कि चूहों पर इसका परीक्षण सफल रहा है और साल 2020 तक वे इंसानों पर इसका परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। कंपनी ने कहा कि शुरुआत में इस चिप के जरिए तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों जैसे लकवा और अंधता का इलाज किया जा सकेगा। हालांकि अभी इसे अमरीकी खाद्य एवं औषधी नियंत्रण विभाग की मंजूरी मिलना बाकी है। मस्क ने कहा कि यह अभी शुरुआत है और वास्तविक परिणाम अभी दूर की कौड़ी है।