ये नजारा जिले के सिद्दीकगंज क्षेत्र में बीती रात देखने को मिला।यहां विकास के दावे तो कई किए, लेकिन जमीन पर मूर्त रूप लेने की बजाएं हवा हवाई होकर रह गए। इसकी पोल फिर खुल गई। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के गांव रूपकुंड निवासी तुकानी बाई (२३) पति प्रकाश बारेला को प्रसव पीड़ा हुई तो अस्पताल लाने परिजन ने एम्बुलेंस को फोन लगाया। कच्चा और उबड़-खाबड़ रास्ता होने से यह एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंची और श्यामपुरा में आकर खड़ी हो गई, जबकि गांव से मुख्य सड़क की दूरी चार किमी थी। प्रसूता पीड़ा होने के बाद भी दो किमी पैदल चलकर आई, लेकिन आगे नहीं चल पाई। इस दौरान उसकी प्रसव पीड़ा लगातार बढ़ती गई। परिजन खटिया पर लेटाकर मुख्य सड़क तक लेकर आए। एंबुलेंस में बैैठकर सिद्दीकगंज स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां महिला ने लड़की को जन्म दिया। हालांकि डिलेवरी होने के बाद खून की कमी के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामलें पिछले १६ दिन के अंदर दूसरा मामला सामने आया है। ६ सितंबर को बर्रूखाल रूपकुंड निवासी सुनीता पति प्रताप सिंह बारेला को डिलेवरी के चलते पीड़ा ज्यादा होने लगी तो इसी तरह से १०८ एंबुलेंस को फोन लगाया था।उस दौरान भी गांव तक वाहन नहीं पहुंच पाया था। मजबूरन परिजन को लकड़ी में कपड़े की झोली बनाकर उसमें बैठाकर महिला को श्यामपुरा तक लाना पड़ा था।यहां से वाहन में बैठाकर स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे, जहां महिला ने बालिका को जन्म दिया था। गौरतलब है इससे पहले भी इस तरह के कई मामलें सामने आ चुके हैं।
मरम्मत की बात कहीं है वन विभाग के तहत गांव आने से पिछले दिनों इस विभाग के अधिकारियों से बात की थी। यहां सड़क बनाना संभव नहीं होने से रास्ते की मरम्मत करने की बात कहीं थी। विभाग ने पंचायत को राशि मुहैया कराने की बात कहीं थी।
आरआर पांडे, एसडीएम आष्टा