वहीं कांग्रेस में भी विरोध के सुर अब तक बीच बीच में उठते साफ दिख रहे हैं। बताया जाता है कि अपने अंदर हो रहे विरोध को रोकने के लिए भाजपा की और से लगातार कोशिशों के तहत डैमेज कंट्रोल की कवायदें भी इसे थामने में बहुुत कम ही सफल हो सकीं हैं!
दरअसल शुक्रवार को सीहोर से भाजपा में एक और बगावत हो गई, ये बगावत सीहोर जिले के आष्टा विधानसभा में हुई। जहां जिला पंचायत अध्यक्ष उर्मिला मराठा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया है।
जानकारों की माने तो ये आष्टा में भाजपा को तगड़ा झटका है। वहीं दूसरी ओर टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के जिला महामंत्री एचएस परमाल भाजपा में शामिल हो गए हैं। ये नेता हुए बागी ! :
1. विदिशा पूर्व वित्त मंत्री राघव जी ने शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया।
2. सरताज सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे। 3. भोपाल में भाजपा की कोलार के वार्ड 83 से पार्षद व जोन 18 की अध्यक्ष मनफूल मीणा के पति श्याम सिंह मीणा भी भाजपा के विरुद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर चुके हैं।
4. सीहोर की जिला पंचायत अध्यक्ष उर्मिला मराठा ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया है। भाजपा के लिए मुश्किल का समय…
जानकारों की माने तो भाजपा के लिए ये एक कठीन समय है, जब पार्टी में हर ओर से बगावत की आवाजें आ रही हैं। ऐसे में भाजपा को चुनावों में नुकसान होना तय माना जा रहा है।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार भाजपा ने भले ही प्रदेश का सबसे बड़ा मामला पूर्व सीएम बाबूलाल गौर के रूप में संभाल लिया हो, लेकिन अब भी लगातार पार्टी में बगावत जारी है, जिसे देखकर साफ लगता है कि इसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।
शर्मा के अनुसार बगावती सुरों के बीच सरताज का कांग्रेस में जाना भाजपा को बड़ा झटका तो है ही साथ ही छोटे व कार्यकर्ता स्तर पर भी बगावती तेवर होना कहीं से उचित नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा भोपाल में अपने ही पार्षद पति द्वारा अपने ही केंडिडेट के विरुद्ध चुनाव लड़ना भी भाजपा को परेशान करेगा ही।
इधर, अरुण यादव ने भरा नामांकन शुक्रवार को बुधनी से कांग्रेस उम्मीदवार अरुण यादव ने भी नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति 19 करोड़ से अधिक बताई है।