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24 साल से भवन विहीन स्कूल को जगह मुहैया कराने कलेक्ट्रेट पहुंचे शिक्षक-अभिभावक

सीहोर के दशहरावाला बाग का मामला, बच्चों को उठाना पड़ रही है परेशानी

सीहोरJan 29, 2020 / 03:28 pm

Anil kumar

स्कूल

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सीहोर.
जिले में सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को स्वयं के भवन नसीब नहीं हो रहे हैं। इस कारण किराएं या फिर जर्जर भवन में यह स्कूल संचालित हो रहे हैं। इसका खामियाजा पढ़ाई आने वाले बच्चों के साथ शिक्षकों को परेशानी के रूप में भुगतना पड़ रहा है, वहीं हादसे की अलग संभावना बनी रहती है। यह स्थिति सीहोर शहर में ही दो स्कूल में देखी जा सकती है। इसमें एक स्कूल के शिक्षकों ने अभिभावकों के साथ मंगलवार को कलेक्ट्रेट में एसडीएम आदित्य जैन को शिकायत दर्ज कराई है। इसमें 24 साल से भवन विहीन स्कूल के लिए जगह उपलब्ध कराकर नया भवन बनाने की मांग की गई है।

बच्चों का भविष्य बनाने वाले सरकारी स्कूलों की ही समस्या दूर नहीं हो रही है। इसकी बानगी जिले के कक्षा एक से 8वीं तक के स्कूलों में देखी जा सकती है। जिनको खोल तो दिया, लेकिन भवन नहीं दिए हैं। इसमें 40 से अधिक स्कूल शामिल है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो 39 स्कूलों के भवन के लिए 4 लाख 65 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि से स्कूल भवन बनने का काम चल रहा है। भवन तैयार होने के बाद समस्या दूर हो जाएगी। कई स्कूल के सामने एक समस्या यह भी आ गई है कि उनका भवन तो स्वीकृत हो गया, लेकिन जगह नहीं मिल रही है। जिससे उनका कार्य बीच में अटक गया है। इधर पिछले साल अतिवृष्टि के चलते कई स्कूल क्षतिग्रस्त होने के बाद उनकी मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था। उसके लिए अब तक राशि नहीं मिली है।

केस 01: 1996 से चल रहा किराए के भवन में स्कूल
सीहोर के वार्ड क्रमांक 29 के दशहरा वाला गांव में शासन ने शासकीय प्राइमरी ईजीएस स्कूल खोला था। इस स्कूल को साल 1996 से आज तक स्वयं का भवन नहीं मिलने से किराएं के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। इससे स्कूल में दर्ज 37 बच्चों को समस्या के बीच पढ़ाई करना पड़ रही है। बारिश के मौसम में छत से पानी टपकने पर बच्चों और शिक्षकों को सुरक्षित जगह तलाशना पड़ती है। शिक्षक और वार्डवासियों ने कई बार अफसरों को अवगत कराया बावजूद कुछ नहीं हुआ। मंगलवार को फिर जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें जगह उपलब्ध कराकर नया भवन बनाने मांग की है।
केस 02: कवेलू की छत के नीचे पढ़ाई करते हैं बच्चे
शुगर फैक्ट्री के सामने शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन के भी यही हाल है। यह स्कूल भी कई साल से शुगर फैक्ट्री के बने खपरेलू क्वाटर में चल रहा है। जिसकी हालत बेकार हो गई है। जिसमें ही 68 बच्चों को बैठकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ रही है। स्कूल की प्राधानाध्यापक माधुरी जोशी ने बताया कि अभी पानी सहित अन्य सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। जिससे दिक्कत तो होती है, लेकिन क्या कर सकते हैं। खास बात यह है कि भवन क्षतिग्रस्त होने से हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है। इसे देखते हुए प्रबंधन को मजबूरी में बच्चों को बाहर टीनशेड के नीचे बैठाकर पढ़ाना पढ़ता है।

चल रहा है काम
39 स्कूलों के नए भवन के लिए राशि स्वीकृत होने के बाद उनका काम चल रहा है। जहां तक बारिश में क्षतिग्रस्त हुए स्कूलों की बात है तो उसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। राशि मिलते ही मरम्मत कार्य कराया जाएगा।
अनिल श्रीवास्तव, डीपीसी सीहोर

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