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सीहोर

अनूठा प्रयोग: जन्म के बाद पालना नहीं चाहती तो यहां छोड़ जाएं अपना नवजात

इस पालने की घंटी बजते ही उमड़ पड़ेगी ममता, ‘पालना’ केंद्र में संवरेगी बेसहारा बच्चों की जिंदगी, बेसहारा बच्चों का उनका लालन पोषण भी करेगा।

सीहोरJan 11, 2018 / 08:10 pm

आसिफ सिद्दीकी

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सीहोर। जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों… यह पंक्तियां जिला अस्पताल में साक्षात चरितार्थ होती नजर आएंगी। यहां नवजात बेसहारा बच्चों को नई पहचान के साथ नया जीवन भी मिलेगा। अब ऐसे बच्चे किसी के लिए अभिशाप नहीं बल्कि किसी के जीवन का सहारा भी बन सकेंगे। इसेे लेकर जिले में अनूठी पहल की शुरूआत की गई हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग और महिला सशक्तिकरण विभाग ने पालना अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान के तहत ट्रामा सेंटर के मातृ एवं शिशु अस्पताल में पालना रखा गया है। इस पालने में ऐसी मां जो अपने बच्चे को जन्म देने बाद रखना नहीं चाहती वह अपनी पहचान बताए बगैर नवजात को छोड़ जाएगी। इसके बाद पालने की घंटी बजने लगेगी। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ऐसे बच्चे को अपने पास रख कर उसकी देखभाल के साथ बच्चे के स्वास्थ्य की भी निगरानी रखेंगे। जरूरत पडऩे पर अस्पताल के ही कर्मचारी अपनी ममता को भी ऐसे बच्चों पर लुटाते नजर आएंगे।

नहीं उजागर की जाएगी पहचान
कई बार देखने में आया की कचरे के ढेर, झाडिय़ों में, नदी नाले किनारे सुनसान खतरनाक इलाकों में नवजात बच्चों को जन्म के बाद छोड़ दिया जाता हैं। इसके चलते कई बार मौत भी हो जाती हैं। ऐसे बच्चों को बचाने के लिए ही पालना अभियान की पहल की गई हैं। जिसे बच्चे की जरूरत न हो वह इस पालने में नवजात को अपनी पहचान बताए बगैर छोड़कर जा सकता है।

बच्चे के आते ही बजेगी घंटी
मातृ एवं शिशु वार्ड में नवजात बच्चों का जीवन बचाने के लिए पालना लगाया गया है। यह पालना पूरी तरह जालियों से सुरक्षित है। जब भी कोई इसमें नवजात को छोड़कर जाएगा उसी समय पालने में लगी घंटी लगातार बजने लगेगी। घंटी के बजते ही अस्पताल के कर्मचारी उस बच्चे को तुरंत आईसीयू वार्ड में भर्ती कर देगा। जहां एक महिला कर्मचारी नवजात को मां की ममता और दुलार भी देगी।

ले सकेंगे बच्चों को गोद
पालने में मिलने वाले बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ करने के बाद मातृ छाया को सौंप दिया जाएगा। बच्चे की देखभाल के साथ उसका पालन पोषण किया जाएगा। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति ऐसे बच्चों को गोद लेना चाहेगा तो उसे नियम अनुसार कार्रवाई पूरी करने के बाद बच्चे को गोद दे दिया जाएगा। इसके चलते जरूरतमंद माता पिता के साथ बच्चे के जीवन में भी खुशहाली आ जाएगी।

– महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य विभाग के तहत परिसर में पालना लगाया गया है। इस पालने में कोई भी अपनी पहचान बताए बगैर नवजात को छोड़कर जा सकते हैं।
डॉ. एए कुरैशी, सिविल सर्जन ट्रामा सेंटर सीहोर

– पालना अभियान नवजात बच्चों को संरक्षण देगा पालना और उनका लालन पोषण भी करेगा। पालना अभियान के तहत जिला अस्पताल में पालना स्थापित किया गया है।
अमित दुबे, बाल सरंक्षण अधिकारी सीहोर

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