जिले के इछावर से करीब 16 किमी दूर गांव बीजाभेरू में कुछ साल पहले तक लोग शिक्षा के महत्व को नहीं समझते थे। यहां के कक्षा पांच तक के शासकीय प्राइमरी स्कूल में कुछ समय पहले तक बच्चों की संख्या का स्तर निचले स्तर पर था। करीब 6 साल पहले शिक्षिका शिखा शर्मा की पदस्थाना के बाद उनके द्वारा किए प्रयास ने मानो इस गांव की तस्वीर ही बदल दी है। शिक्षिका ने स्वयं लोगों को शिक्षा का महत्व बताया, बल्कि बच्चों को स्कूल तक लाने जी तोड़ मेहनत भी की। यहीं कारण है कि अब स्कूल में बच्चों की संख्या 51 हो गई है।
किस तरह सीखते हैं बच्चे
शिक्षिका शिखा शर्मा की माने तो बच्चों को गणित के जोड़, घटाव, गुणा और भाग खेल-खेल में सीखाएं जाते हैं। इसमें उनको जोड़ सीखाना है तो कहा जाता है कि एक जंगल में एक चिडिय़ा, उसमें एक और आ गई तो बोलों कितनी हो गई चिडिय़ा इसका बच्चे दो का जवाब देते हैं। इसी प्रकार घटाव और गुणा-भाग कराने के साथ अन्य गतिविधि कराई जाती है। जिससे बच्चे पढऩे लिखने के साथ गणित के सवाल हल कर लेते हैं। एनईआरटी की टीम ने 26 अप्रैल 2019 को निरीक्षण किया तो उसमें शामिल अफसर तक अचंभित हो गए। उन्होंंने शिक्षिका के कार्य की सराहना की।
बच्चों का भविष्य बनाना पहली प्राथमिकता
शिक्षिका ने बताया कि वह स्कूल में पदस्थ शिक्षक के साथ बाइक से बीजाभेरू जाती है। इसमें 10 किमी तक रास्ता ठीक है, लेकिन 6 किमी का रास्ता उबड़ खाबड़ होने से परेशानी होती है। जबकि गांव से दो किमी पहले तो आगे वाहन ही नहीं जाता है, जिससे पैदल ही स्कूल तक जाना पड़ता है। शिक्षिका ने बताया कि उनका उद्देश्य यही है कि हम भले ही तकलीफ उठा ले लेकिन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होना चाहिए। हमारी गतिविधि को देख जिन पालकों ने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में प्रवेश दिलाया था, वह भी सरकारी स्कूल में वापस दाखिला करा रहे हैं। शिक्षिका के इस प्रयास की ग्रामीण भी सराहना कर रहे हैं।