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सीहोर

अमानवीय: पहले एंबुलेंस को तरसा फिर इलाज को तड़ता

डेढ़ घंटे तक नहीं मिली एंबुलेंस, सड़क हादसे में घायल मरीज तड़पता रहा, फिर ट्रामा सेंटर में नहीं मिला इलाज।

सीहोरNov 14, 2017 / 07:40 pm

आसिफ सिद्दीकी

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सीहोर। घायलों को त्वरित इलाज के उद्देश्य से मुख्यालय पर खोला गया ट्रामा सेंटर मरीजों को इलाज देने में असमर्थ है। ऐसा ही मामला बीती रात देखने को मिला जब सड़क हादसे में घायल युवक का इलाज करने के बजाए डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया। विडम्बना यह रही कि मरीज को लगभग डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिल सकी, इससे मरीज इलाज के अभाव में तड़पता रहा। जिला अस्पताल की अव्यवस्थाएं कम नहीं हो रही है। जिस कारण मरीज और परिजन को परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है।

भीख तरह मांगना पड़ता है इलाज
आराकश मोहल्ला निवासी अमित पिता रामूराव को बीती रात बडिय़ा खेड़ी के पास एक कार टक्कर मार दी। युवक को गंभीर चोट आने पर जिला अस्पताल लाया गया, जहां पहले तो मरीज को उपचार के लिए परेशान होना पड़ा। युवक के दाहिने कान से लगातार खून बहने के कारण अचेत अवस्था में चला गया था। अस्पताल में डॉक्टरों ने भोपाल रेफर कर दिया।

नहीं मिली एंबुलेंस
रेफर के बाद घायल युवक को परिजन भोपाल ले जाने के लिए भी काफी परेशान हुए। अस्पताल से परिजन को एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो सकी। परिजन 108 को भी फोन किया गया, लेकिन वह भी समय पर नहीं आई। डेढ़ से दो घंटे के बाद 108 आई तब कहीं जाकर मरीज को भोपाल ले जाया गया। इधर पुलिस ने कार चालक के विरूद्ध मामला दर्ज किया है।

कराहती प्रसूता से नहीं मिलने दिया
एक अन्य मामले में कालापीपल से प्रसूता तेजकुंवर पति सेवाराम 23 वर्ष को गंभीर स्थिति होने पर जिला अस्पताल रेफर किया था। बताया जाता है कि प्रसूता को मेटरनिटी वार्ड में भर्ती किया गया था। इस दौरान महिला दर्द से कराह रही थी, लेकिन उनके परिजनों को मिलने नहीं दिया। साथ ही इलाज में भी लापरवाही बरती गई। महिला की गंभीर स्थिति के बाद ड्यूटी पर मौजूद महिला डॉक्टर 11 बजे ऑपरेशन करने की लिए तैयार हुई। इसके बाद दोपहर एक बजे ऑपरेशन से एक बजे बच्ची का जन्म हुआ। नवजात की हालत नाजुक होने का बताते हुए आईसीयू में भर्ती करने का कहा गया। शाम पांच बजे बच्ची की मौत होना बता दिया।

कहां है मेरी बच्ची
बेसुध पड़ी प्रसूता को जैसे ही होश आता है, वह बच्ची का पूछती है और फिर बेहोश हो जाती है। इसके बाद भी कोई सुनने को तैयार नहीं है। तेजकुंवर बाई की जेठानी ने बताया कि प्रसूता की स्थिति गंभीर होने से जिला अस्पताल में रेफर किया गया था, लेकिन यहां न तो समय पर इलाज मिला और न ही हमें प्रसूता से मिलने दिया। वह रात तीन बजे से तड़पती रही, लेकिन डॉक्टर जांच का हवाला देकर उसे नार्मल बताते रहे। यदि समय पर ऑपरेशन हो जाता तो नवजात की जान बच सकती थी।

ये बोले जिम्मेदार
— आखिर क्या वजह रही जो मरीज को इलाज और रेफर के लिए वाहन नहीं मिला। इसी तरह नवजात की मौत के मामले में भी जानकारी ली जा रही है।
डॉ. एए कुरैशी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल सीहोर

– कालापीपल से रेफर होकर आई प्रसूता की ऑपरेशन से डिलेवरी हुई थी। नवजात बच्ची के हार्ट में समस्या होने पर उसे आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मौत हो गई।
अमिता श्रीवास्तव, महिला डॉक्टर

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