कोलार डेम और राता अप अभ्यारण के पास सतपुड़ा की वाद-विवाद ओम वेली के बीच-बीच में केरी के महादेव विराजमान हैं। सीहोर से करीब 70 किमी दूर भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले की सीमा पर गहरी खाइयों, ऊंचे-नीचे पहाड़ों के नजारे के साथ घने जंगल के बीच निकलने के बाद केरी के महादेव नाम से प्रसिद्ध महादेव मंदिर पर पहुंचा जा सकता है। श्रद्धालु तुलसीराम परमार बताते हैं कि यहां मंदिर से तकरीबन 100 फीट नीचे गहरी खाई में एक केरी (आम) का विशाल पेड़ है, जहां जाना बहुत ही खतनाक हो सकता है। इस केरी के विशाल पेड़ की वजह से इस स्थान का नाम केरी के महादेव पड़ा।
दुर्गम और जंगली मार्ग से होकर जाना पड़ता है इस स्थान पर
यहां जाने का रास्ता दुर्गम और कष्ट साध्य है। इसके साथ ही यहां का क्षेत्र वनविभाग के बजन होने की वजह से यहां आपूर्ति सीमित हैं। यहां जाने के लिए वनविभाग की अनुमति लेना भी आवश्यक है। इस कारण से भक्तों का कम ही आना-जाना हो पाता है। इसके साथ ही घने जंगल और पहाड़ी इलाके की वजह से जंगली जानवरों का भय भी बना रहता है।
जटाओ के रूप में विराज हैं भोलेनाथ
यह जगह स्थान खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। यहां भगवान महादेव किसी मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि जटाओ के रूप में दर्शन देते हैं। यहां जटाओ को वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ ने आकार दिया है। इस वटवृक्ष की जटाओं से पूरे सालभर पानी की एक सामान धारा बहती रहती है। इस ती स्थान के पास ही एक छोटा से मंदिर में शिवलिंग विराजमान है। शिवलिंग का जलाभिषेक वटवृक्ष से निकलने वाला पानी की अविरल धारा से किया जाता है।
यहाँ आने वाले हर मुराद होता है पूरा
भक्त राजेश शर्मा का कहना है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसके कारण दूर दूर से यहां भक्त अपने मनोकामना लेते आते हैं और पूरी तरह से यहां उपस्थित शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं। वह सालों से इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थ हर साल आते हैं। साल में साल में दो बार भूतड़ी अमावस्या ओर शिवरात्रि को यहां मेले का आयोजन किया जाता है।