जानकारी के अनुसार कृषक भोजनालय में किसान, हम्माल, तुलावटी को खाना खिलाने के लिए टेंडर जारी कर ठेका दिया जाता है। इसमें एक व्यक्ति को भरपेट खाना खिलाने पर 19 रुपए का खर्च आता है। जिसमें संचालक किसान, हम्माल, तुलावटियों से पांच रुपए लेता है, जबकि शेष 14 रुपए की राशि मंडी प्रबंधन अपनी तरफ से मिलाकर देता है। पिछले कुछ साल से इस भोजनालय का सबसे ज्यादा किसानों को फायदा मिला, लेकिन बीत वर्ष मार्च महीने में लगे लॉकडाउन के बाद से ही यह बंद होने के कारण परेशानी खड़ी हो गई है।
रात में आते हैं किसान
रबी सीजन चलने से किसान इस समय रात में ट्रैक्टर-ट्राली और अन्य वाहन से उपज लेकर पहुंच रहे हैं। उनको घर से खाना लेकर आना पड़ता है या फिर मजबूरी में ढाबे पर जाकर खाना पड़ता है। किसानों ने बताया कि ढाबे पर खाना खाने में 80 से 100 रुपए का खर्च आता है। किसानों ने जल्द ही कृषक भोजनालय को चालू करने की मांग की है। इधर भोजनालय संचालक सुरेंद्र मेवाड़ा ने बताया कि भोजनालय बंद होने के बाद भी दुकान का किराया जमा कराने के लिए प्रबंधन नोटिस दे रहा है। जबकि हमारी तरफ से लगातार इसे चालू करने की बात कही जा रही है, उस दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
तीन जिलों के किसान निर्भर
आष्टा की मंडी ए ग्रेड में शुमार है। इस मंडी के ऊपर सीहोर, शाजापुर और देवास जिले के किसान निर्भर हैं। खरीफ और रबी सीजन में कन्नौद, खातेगांव, अरनिया कलां सहित अन्य दूर दराज क्षेत्र से भी किसान उपज बेचने के लिए आते हैं। उल्लेखनीय है कि मंडी में खराब ड्रेनेज सिस्टम, परिसर में अतिक्रमण की समस्या भी बरकरार है। यह पिछले कई साल से चली आ रही है, लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका है। यह सिस्टम की हकीकत को बताता है।
वर्जन…
कृषक भोजनालय को चालू करने की प्रबंधन के तरफ से प्रक्रिया चल रही है। अगले वित्तीय वर्ष से ही इसके चालू होने की अभी संभावना है। मंडी में किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो उसके लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं।
वीरेंद्र आर्य, सचिव कृषि उपज मंडी आष्टा