जिले में कीट प्रकोप से अब तक सबसे ज्यादा 9560 वैरायटी फसल को नुकसान हुआ है। इस वैरायटी की खेत में खड़ी 70 प्रतिशत से अधिक फसल अफलन हो गई है। सोयाबीन की अन्य वैरायटी इससे कम प्रभावित हुई है, लेकिन अब इस फसल को भी पीला रोग ने जकडऩा शुरू कर दिया है। आष्टा विकासखंड के मालीखेड़ी, शहवाजपुरा सहित अन्य गांवों में 9560 के साथ इस समय अन्य वैरायटी की फसल पीली पड़कर सूखने लगी है। किसान इसे पीला मोजेक प्रकोप मानकर चल रहे हैं, लेकिन कृषि विभाग इससे इनकार कर तना मक्खी का मुख्य कारण बता रहा है। किसानों ने बताया कि अन्य वैरायटी की फसल से उम्मीद थी वह भी टूटने लगी है। उल्लेखनीय है कि खरीफ सीजन 2021 में किसानों ने 3 लाख 40 हजार हेक्टेयर यानी 8 लाख 50 हजार एकड़ में सोयाबीन फसल की जून महीने में बोवनी की थी। फसल में खरपतवार और कीट को नष्ट करने किसानों ने बोवनी से अब तक किसान 17 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाई का छिड़काव किया है।
नारेबाजी कर किसान बोले सर्वे कर मुआवजा दो
इधर शुक्रवार को खड़ी, खामखेड़ा बैजनाथ, मैना, निपानिया, रूपेटा, चिन्नौठा, घनश्यामपुरा, जगन्नाथपुरा सहित 10 से अधिक गांव के किसानों ने आष्टा तहसील कार्यालय पहुंचकर नारेबाजी कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। किसान अपने हाथ में अफलन हुई फसल लेकर पहुंचे थे। किसानों ने अफसरों को बताया कि 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव का सोयाबीन लाकर बोवनी की थी, लेकिन फसल बर्बाद हो गई है। इससे लागत दूर बोया बीज नहीं निकलेगा। किसानों ने बताया कि फसल को देखने अब तक कोई नहीं पहुंचा है। इसलिए जल्द ही फसल का सर्वे कर मुआवजा राशि दी जाए। वही ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन करने मजबूर होना पड़ेगा। इस अवसर पर हरिसिंह पटेल,देवकरणसिंह,देवजी पटेल, अचलसिंह, निर्मल पटेल, जसमतसिंह मौजूद थे।
वर्जन…
तना मक्खी का ज्यादा प्रकोप होने की वजह से ही फसल पीली पड़ रही होगी। पीला मोजेक से फसल पीली पड़कर सूखने संबंधी अभी हमारे पास कही से शिकायत नहीं आई है।
बीएस मेवाड़ा, एसएडीओ कृषि विभाग आष्टा