शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पुराना हो चुका यह भवन जगह-जगह से जर्जर हो गया है। वहीं मरीजों को बैठने के लिए पुरानी कुर्सियां रखी हुई हैं। दीवारों में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसके बावजूद यहां नया भवन बनाने के लिए सार्थक प्रयास नहीं हुए। अस्पताल में आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी सहित चार कर्मचारियों की तैनातीं की गई थी, लेकिन इनका लाभ ग्रामीणों को नही मिल पा रहा है। लगभग आठ से दस हजार की आबादी वाले इस गांव में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन बनाया जाना चाहिए, ताकि आसपास के लिए 10-15 गांवों के मरीजों को भी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।
ग्रामीणों का कहना है कि आठ से दस हजार की आबादी वाले गांव में न तो कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है और न ही उप स्वास्थ्य केन्द्र, न ही कोई शासकीय अस्पताल है। गांव में एक ही शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल है उसमें भी कोई सुविधा नही है, ऐसे में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें उपचार के लिए कालापीपल, शुजालपुर को जाना पड़ता है। ऐसे में अगर कोई सीरियस मरीज हो तो उसे उपचार के लिए बाहर ले जाया जाए तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है।
गांव में शासकीय अस्पताल न होने के कारण ग्रामीणों को झोलाछाप डाक्टरों के भरोसे रहकर उन्हें मजबूरी में इलाज करवाना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से अस्पताल की मांग की, लेकिन उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया।
हेमलता सुभाष लेवेे, सरपंच, ग्राम पंचायत बेहरावल