बीते चार-पांच साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्लड बैंक में ब्लड की इतनी कमी देखी जा रही है। ब्लड बैंक के स्टाफ की माने तो युवाओं को इस दिशा में मॉटीवेट किया जाना चाहिए। हर तीन महीने में व्यक्ति ब्लड से सकता है। रक्तदाताओं की संख्या अधिक होगी तो ब्लड बैंक को कभी ब्लड की कमी से नहीं जुझना पड़ेगा। जिला अस्पताल से ब्लड प्रसूता और गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से हर महीने औसत 250 मरीज को ब्लड दिया जाता है।
हर दिन लौट रहे पांच से सात मरीज
जिला अस्पताल में हर दिन पांच से सात मरीज ए पॉजीटिव ब्लड गु्रप के आते हैं। बीते एक महीने से यह ब्लड ग्रुप जिला अस्तपाल के ब्लड बैंक में नहीं हैं। ब्लड बैंक के रेकॉर्ड के मुताबिक जिला अस्पताल में भर्ती 10 से 30 मरीज को रोज ब्लड बैंक से ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। सबसे ज्यादा ब्लड प्रसूताओं को दिया जाता है। इस समय जिला अस्तपाल में जो डिलेवरी के केस आ रहे हैं, उनमें से करीब 60 से 70 फीसदी प्रसूताओं को ब्लड लगाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में ब्लड की डिमांड तो बढ़ी है, लेकिन आपूर्ति पहले से कम हो गई है, जिसे लेकर ब्लड बैंक में ब्लड की कमी महसूस हो रही है।
एक हजार यूनिट ब्लड रखने की व्यवस्था
सीहोर जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में एक हजार यूनिट ब्लड को रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। यहां पर ब्लड को सुरक्षित रखने के लिए चार फ्रीज हैं। एक फ्रीज में करीब 250 यूनिट ब्लड रखा जाता है। सीहोर जिले में करीब 47 मरीज थैलेसिमिया के दर्ज हैं। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से हर महीने इस मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। कई मरीज तो ऐसे हैं, जिन्हे हर 15 से 20 दिन में ब्लड मुहैया कराया जा रहा है।
ब्लड बैंक से ब्लड की आवज-जावक
माह आवक जावक
अप्रैल 391 390
मई 555 540
जून 427 408
जुलाई 683 491
अगस्त 455 530
सितंबर 537 609
अक्टूबर 531 590
नवंबर 512 402
दिसंबर 375 422
जनवरी 359 381
फरवरी 257 278
( नोट- ब्लड का आंकड़ा यूनिट में अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 तक)
वर्जन…
– ब्लड बैंक से जरूरत के हिसाब से मरीजों को ब्लड दिया जाता है। अभी ब्लड बैंक में ए पॉजीटिव ग्रुप बिल्कुल नहीं हैं। इस समय मात्र 175 यूनिट ब्लड बचा है।
निर्मल कचनारिया, लैब टैक्नीशियन जिला अस्पताल सीहोर