मनीष के पिता बाबूलाल एक सामान्य किसान हैं, जिनके पास तीन एकड़ जमीन है। मनीष ने बताया कि पढ़ाई के लिए वह सीहोर में किराए से कमरा लेकर अपने एक दोस्त के साथ रहता है। मनीष ने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा कि ज्यादातर स्टूडेंट परीक्षा के डेढ़-दो महीने पहले से तैयारी शुरू करते हैं, इसमें भी 10 से 15 दिन दिनचार्या बनने में निकल जाते हैं, ऐसे में पढ़ाई के लिए पूरा एक महीना भी नहीं मिलता है। यदि हम अपेक्षा के अनुरूष परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें परीक्षा के एक महीने पहले नहीं, पूरे साल पढ़ाई करनी चाहिए, जिससे परीक्षा के समय सिर्फ महत्वपूर्ण चीजों पर फोकस किया जा सके।
गु्रप डिस्कशन अच्छा, पर गु्रप अच्छा हो…
मनीष ने बताया कि तैयारी के दौरान गु्रप डिस्कशन बहुत जरूरी है और यह बहुत अच्छा होता है, लेकिन यह भी जरूरी है कि हम यह देख लें कि ग्रुप कैसा है? यदि गु्रप खराब है तो इसका नुकसान भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि वे अपने दोस्त सचिन रघुवंशी भी 84 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हुए हैं।
शिक्षकों ने स्टूडेंट्स का किया सम्मान
प्रदेश के टॉपरों में स्कूल के छात्र मनीष रघुवंशी का नाम आने पर बुधवार को शासकीय बालक उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीहोर के शिक्षकों ने स्टूडेंट का सम्मान किया। स्कूल के प्राचार्य आरके बांगरे ने बताया कि यह स्कूल ही नहीं, बल्कि पूरे सीहोर जिले के लिए गौरव की बात है।
जिले का गौरव
नाम : मनीष रघुवंशी (फोटो नंबर 05)
पिता का नाम : बाबूलाल रघुवंशी
कक्षा: 12वीं
स्थान : प्रदेश में आठवां स्थान
अंक : 476/500
श्रेय: माता-पिता और टीचर
लक्ष्य: राज्य प्रशासनिक सेवा में अफसर