रंग लाई माता-पिता का मेहनत
सीहोर से 57 किलोमीटर दूर डोडी गांव के रहने वाले आयुष अटारिया 300 में से 297 अंक लाकर दसवीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में सातवां और छोटे भाई अंकित अटारिया ने 300 में से 295 अंक लाकर सीहोर जिले में पहला स्थान हासिल किया है। सफलता की कहानी लिखने वाले अंकित और आयुष के परिवार में 6 सदस्य हैं। दोनों भाईयों के अलावा पिता लक्ष्मण सिंह, मां कमलाबाई, दादा देवसिंह, दादी देवीबाई अटारिया है। परिवार का बड़ा सदस्य कोई पढ़ा लिखा नहीं है। इस कारण लक्ष्मण सिंह ने बेटे आयुष, अंकित को बेहतर शिक्षा देने आष्टा के मार्डन पब्लिक स्कूल में प्रवेश दिलाकर जिला स्तरीय बालक उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र छात्रावास में रहने की व्यवस्था की। बच्चे अच्छे से पढ़ सकें इसलिए खुद पिता लक्ष्मण सिंह एक रेस्टोरेंट में काम करने लगे। करीब 10 हजार रुपए कमाने वाले लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि वो इसी कमाई से पूरे परिवार का खर्च चलाते थे। 1500 रुपए दोनों बच्चों की फीस भरते और उन्हें अलग से खर्चा भी देते थे लेकिन बाद में दिक्कत बढ़ने लगी और परिवार चलाने में मुश्किल आने लगी ऐसे में पत्नी कमलाबाई ने उन्हें हिम्मत दी और मां कमलाबाई 100 रुपए दिन के हिसाब से मजदूरी करने जाने लगी। दोनों ने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए खूब मेहनत की और आज उनकी उसी मेहनत का फल दोनों बेटों ने उन्हें सफलता की ये कहानी लिखकर दिया है। जिसे सुनकर माता-पिता दोनों बेहद खुश हैं। पिता लक्ष्मण सिंह कहते हैं कच्चे मकान में रहते हैं कई तरह की समस्याएं हैं जिंदगी में लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता है कि दोनों बेटे अच्छे से पढ़ लिख जाएं।
डॉक्टर्स बनने का सपना
पत्रिका से बात करते हुए टॉपर आयुष और अंकित ने अपनी सफलता की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि वो रोजाना दस घंटे पढ़ाई किया करते थे। दोनों भाईयों ने अपनी सफलता का श्रेय माता, पिता, शिक्षक के साथ बुआ के लड़के दिव्यांश सोलंकी को दिया है। दोनों भाईयों ने बताया कि उनका एमबीबीएस कर डॉक्टर बनने का सपना है।