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सीहोर

District Hospital : आठ महीने से सर्जरी और एक महीने से नहीं हो रही सोनोग्राफी

बिना बताए जिला अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट और जनरल सर्जन डॉक्टर गायब

सीहोरAug 19, 2019 / 11:24 am

Kuldeep Saraswat

sehore

District Hospital : आठ महीने से सर्जरी और एक महीने से नहीं हो रही सोनोग्राफी

सीहोर. जिले की करीब साढ़े 13 लाख की आबादी के स्वास्थ्य का जिम्मा संभालने वाला जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। यहां पर इमरजेंसी सेवा तो दूर की बात सामान्य जांच की सुविधा भी ठीक से नहीं मिल रही है। जिला अस्पताल में बीते आठ महीने से सर्जरी और एक महीने से सोनोग्राफी नहीं की जा रही है।

सोनोग्राफी और सर्जरी नहीं होने के पीछे मुख्य कारण विशेषज्ञ डॉक्टर्स का बिना बताए अस्पताल से गायब होना है। रेडियोलॉजिस्ट और जनरल सर्जन डॉक्टर बिना बताए करीब 20 दिन से गायब हैं और जिले के अफसर, नेता हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से भी बिना बताए अस्पताल से गायब होने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस देने की औपचारिकता की गई है।

तीन डॉक्टर में से एक ने शुरू की प्रेक्टिस
पिछले महीने जिला अस्पताल में तीन डॉक्टर्स को पदस्थ किया गया था। एक रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नीलम राठौर, दूसरे जनरल सर्जन अनुराग शर्मा और तीसरे जनरल सर्जन डॉ. फैजल अंसारी। डॉ. अनुराग शर्मा ने तो प्रेक्टिस शुरू कर दी, लेकिन डॉ. फैजल अंसारी और डॉ. नीलम राठौर ज्वाइनिंग देने के बाद से गायब हैं। जनरल सर्जन अंसारी और रेडियालॉजिस्ट डॉ. नीलम राठौर के बिना बताए गायब होने से जिला अस्पताल में सर्जरी और सोनोग्राफी की सुविधा बंद पड़ी है। जिला अस्पताल में सर्जरी का काम बीते 8 महीने से बंद है। दिसम्बर 2018 में डॉ. एए कुरैशी के रिटायर होने के बाद से जिला अस्पताल में सर्जरी नहीं हो रही हैं।

 

एक महीने में आते हैं औसत तीस हजार मरीज
जिला अस्पताल की ओपीडी में एक महीने में औसत तीस हजार मरीज आते हैं। सोमवार और मंगलवार को तो कई बार ओपीडी 1200 से ऊपर निकल जाती है। एक दिन में 100 से 150 मरीज भर्ती होते हैं, लेकिन यहां पर सुविधओं के नाम पर सोनोग्राफी की जांच और सर्जरी तक नहीं होती है। हड्डी से संबंधित बीमारियों का इलाज कराने वाले मरीज भी यहां परेशान होते हैं। जिला अस्पताल की सी-आर्म मशीन कई साल से खराब पड़ी है, जिसके कारण सरकारी अस्पताल में हड्डी के बड़े ऑपरेशन नहीं हो पाते हैं और इस बात का फायदा उठाकर कई डॉक्टर सरकारी अस्पताल के मरीजों को अपने परिजन के निजी अस्पताल में रेफर कर देते हैं।

भर्ती मरीजों को भी नहीं मिल रहीं सुविधा
जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो यहां पर बैड तक पर्याप्त नहीं हैं। एक-एक बैड पर दो-दो, तीन-तीन मरीजों को लिटाकर उपचार किया जाता है। कई बार तो बैड फुल होने पर मरीजों को जमीन पर लिटाना पड़ता है। यहां पर मरीजों को मिलने वाला भोजन की ठीक नहीं बताया जाता है। अस्पताल में पीने के पानी की समस्या तो लगातार बनी रहती है।

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