इसी के साथ ही रात और दिन के तापमान में भी बढ़ोतरी भी दर्ज की जाएगी। हवा की गति भी समान्य से अधिक ११ से १७ किमी की रफ्तार से बहेगी। इसके चलते बोछार युक्त बारिश के भी अनुमान लगाए जा रहे हैं। इस समय खेतों में हरी और अर्ध कुंडलक इल्लियों का प्रकोप भी नजर आ रहा है। पतले सिर और पीछे से मोटी यह इल्ली अभी छोटी अवस्था में ही पत्तों को खुरच कर खा रही है। बाद में यही इल्लियां फूल और फलियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। फसल को चक्रभ्रंग कीट (गर्डल बीटल) तने के ऊपरी भाग पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर डंठलों के बीच में छेद कर अंडे दे रही हैं। इस कारण पौधा ऊपर से सूखा नजर आने लगा है।
चमकीले धब्जे बना देगी
लगातार वर्षा के बाद धूप और बादल की स्थिति बनने पर सफेद मक्खी पीला मौजक रोग फैला सकती है। इस रोग के कारण बेतरतीब ढंग से फैलकर चमकीले धब्बे बना देगी। इसके बाद यह रोग पूरे पौधे को पीला कर देगा। इसके चलते फसलों को सुरक्षित करने दवा का छिड़काव सही मात्रा में करने के साथ खरपतवार को खत्म करने के लिए सलाह दी है।
यह उपाय कर सकते है किसान
– सफेद मक्खी नियंत्रण के लिए थाईमेथोक्झोम 25 प्रतिशत सब्लुजी कीटनाशक का छिड़काव 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500-500 लीटर पानी में मिलाकर या 4-5 ग्राम प्रति पंप (15 लीटर) पानी मिलाकर छिड़काव कर सकता है।
– डायमोथियोट 30 इस तरह की दवा स्प्रे एक एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से करें। अगर लाल मकड़ी हो तो इसमें 3-4 ग्राम घुलनशील सल्फर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
– इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल कीटनाशक 0.3 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से पांच एमएल प्रति पंप (15 लीटर पानी) मिलाकर छिड़काव करें।
इन बातो का भी रखो ध्यान दें
– सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पांच दिन के अंतराल में कम से कम दो छिड़काव कर सकते हैं। इसमें कीटनाशक के खिड़काव में पानी की मात्रा 500 से 600 लीटर प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए।
– तय मात्रा में ही कीटनाश का छिड़काव करें।
यह बिल्कुल नहीं करें किसान
– सफेद मक्खी के आक्रमण अवस्था में नव जन युक्त उर्वरक, पोषक तत्व का उपयोग कतई न करें।
– सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए तय दवाई के अलावा अन्य दवाई का उपयोग बिल्कुल न करें।
– कीटनाशक का उपयोग करते समय विशेषज्ञों के द्वारा बताई गई मात्रा से ज्यादा दवा का छिड़काव नहीं करें।
– कृषि विभाग से भी इस संबंध में सलाह ले सकते हैं।