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सीहोर

तमगे के लिए हर घर में बता दिया शौचालय

पंचायतों में बनाए शौचालय छह महीने में ही हो गए जमीदौज

सीहोरFeb 17, 2019 / 11:25 am

वीरेंद्र शिल्पी

NEWS

Sehore. Toilets in Sangrangkhedi, on whose strength the district got an ODF medal.

सीहोर. स्वच्छ भारत मिशन के तहत अफसरों ने किस कदर पैसे की बर्बादी की है, इसका अंदाजा ओडीएफ सीहोर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बने शौचालय की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। गांव में शौचालय बनाने के नाम पर अफसरों ने न केवल जनता से टैक्स के रूप में सरकार द्वारा वसूली गई राशि को ठिकाने लगाया है, बल्कि सरकार के अभियान को भी पलीता लगाया है।

सीहोर जिले में अफसरों ने पहले तो सरकारी बजट को ठिकाने लगाकर फर्जी तरीके से ओडीएफ का तमगा लिया और अब स्थित यह है कि छह महीने पहले बनाए गए शौचालय जमीदौज होने लगे हैं। शौचालय की स्थित देखकर साफ है कि उपयोग तो दूर इनके पास से निकलना भी खतरे से खाली नहीं है। ओडीएफ पंचायतों में शौचालय के जर्जर होने के कारण लोग खुले में शौच जा रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में गांव के कुछ परिवार ऐसे भी मिले हैं, जिनके यहां अभी तक शौचालय नहीं बने हैं। वे लगातार पंचायत से शौचालय निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से मदद मुहैया नहीं कराई गई है। नतीजा, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण और दूसरे कार्यों पर अफसरों ने सिर्फ सरकारी बजट को ठिकाने लगाया है, काम 100 प्रतिशत दिखाया तो गया है, लेकिन जमीन पर 40 से 50 फीसदी ही हुआ है।

दो लाख चार हजार से ज्यादा बनाए शौचालय
सीहोर जिले को ओडीएफ बनाने के लिए करीब दो लाख 4 हजार शौचालय का निर्माण किया गया है। एक लाख 11 हजार शौचालय का निर्माण भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया गया है। एक शौचालय के निर्माण पर औसत करीब 9 हजार रुपए सरकार ने खर्च किए हैं। शौचालय निर्माण के बाद अफसरों ने पहले तो ग्राम पंचायत और फिर जनपद स्तर पर ओडीएफ घोषित करने की प्रक्रिया पूरी कराई। जिला स्तर पर भी ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत की रिपोर्ट को आधार मानकर 20 मार्च 2017 को सीहोर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया। ओडीएफ जिले की हकीकत यह है कि गांव में अभी भी लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं।

ग्राम पंचायत अल्हादाखेड़ी
जिला मुख्यालय से चार किलो मीटर दूर स्थित अल्हादाखेड़ी ग्राम पंचायत की आबादी करीब साढ़े तीन हजार है। यहां पर 1400 वोटर हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत यहां पर करीब तीन सौ शौचालय का निर्माण कराया गया है। पंचायत में सारंगाखेड़ी गांव भी आता है। यहां पर ग्रामीणों से बात की तो सामने आया कि करीब 10 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिनके यहां अभी तक शौचालय नहीं है, लोग मजबूरी में बाहर शौच के लिए जाते हैं। इसके अलावा करीब एक दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनके शौचालय का निर्माण पंचायत ने शुरू तो कराया, लेकिन सर्वे होने के बाद से अभी तक पूरे नहीं बने हैं। शौचालय केवल दिखाने के लिए बनाए गए थे, अधूरे शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है, ये शौचालय खंडहर होते जा रहे हैं।

ग्राम पंचायत जहांगीरपुर
सीहोर से करीब पांच किलो मीटर दूर स्थित जहांगीरपुरा ग्राम पंचायत की स्थिति भी अल्हादाखेड़ी की तरह ही है। यहां की आबादी करीब दो हजार 756 है। दो गांव जहांगीरपुरा और नयापुरा इस पंचायत में आते हैं। यहां सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत करीब 200 शौचालय का निर्माण कराया गया है। ग्रामीणों से बात की तो महिलाओं ने बताया कि शौचालय का निर्माण कुछ ही घरों में किया गया है। 10 प्रतिशत से ज्यादा परिवार ऐसे हैं, जिनके यहां अभी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। कुछ के शौचालय बीते डेढ़ साल से अधूरे पड़े हैं। शौचालय का निर्माण इतना घटिया हुआ है कि कुछ गिर चुके हैं।

ग्राम पंचायत सामरीबौंदा
आष्टा ब्लॉक की सामरीबौदा ग्राम पंचायत की हालत सीहोर ब्लॉक की पंचायतों से ज्यादा खराब है। यहां के शौचालय देखकर तो ऐसा लगात है कि अफसरों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार के साथ मजाक किया है। तीन गांव सामरीबौंदा, कवटिया नाला, उमरदड़ की आबादी करीब 4 हजार है। यहां 600 शौचालय का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया गया। करीब 33 फीसदी परविार के शौचालय जमीदौज हो चुके हैं। 15 फीसदी के यहां अभी तक शौचालय बने ही नहीं हैं। गांव के आधे से ज्यादा परिवार खुले में शौच जाते हैं।

-कौन क्या कहता है….
– हमने खुद के पैसे से शौचालय बनाया था। हमारा शौचालय क्षतिग्रस्त हो गया, बीते दो साल से पंचायत से शौचालय निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक शौचालय नहीं बना है। हमारा परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है। -रतनलाल मालवीय, सारंगाखेड़ी

– हमारे घर पंचायत ने अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं कराया है। हम कई बार पंचायत से शौचालय निर्माण की मांग कर चुके, लेकिन पंचायत ध्यान नहीं दे रही है। हम मजबूरी में खुले में शौच जा रहे हैं। -पिंकी लोधी, नयापुरा

– हमारे घर शौचालय का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है। शौचालय नहीं होने के कारण हम मजबूरी में बाहर शौच के लिए जाते हैं। पंचायत से भी शौचालय निर्माण की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। -मंजू लोधी, नयापुरा


सरकारी गाइड लाइन के हिसाब से बेस लाइन सर्वे 2012 के तहत जिन के घर में शौचालय नहीं थे, उनका सर्वे किया गया था। सर्वे के हिसाब से एक घर एक शौचालय का निर्माण करना था, जो किया गया है। सर्वे जो पोर्टल पर उपलब्ध हैं, उसके आधार पर 100 प्रतिशत शौचालय का निर्माण किया गया है।

विकास वाघाड़े, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन

 

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