करोड़ो रुपए की लागत से ग्राम में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खुले दो वर्ष हो गए हैं, लेकिन ग्रामीण जनता को आज तक उसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उद्घाटन के बाद से डॉक्टर सहित कई पद रिक्त है। अस्पताल फार्मासिस्ट एवं एएनएम के भरोसे चल रहा है। ग्राम चकल्दी की आठ हजार की आबादी है वहीं इसके अंतर्गत करीब 32 गांव आते हैं इन ग्रामीणों को इलाज के लिए रेहटी, नसरुल्लागंज, होशंगाबाद, सीहोर, भोपाल जाना पड़ता है, जबकि यह पूरा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है।
इन लोगों को मरीज को बाहर ले जाकर इलाज कराने से यह लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते है या फिर मरीज को बिना इलाज के या झोलाछापों के भरोसे रहना पड़ता है। फार्मासिस्ट या एएनएम के छुट्टी या ट्रेनिंग पर चले जाने पर अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को मजबूरी में यहां-वहां भटककर प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है। वहीं अस्पताल में पीने का साफ पानी भी नहीं है। अस्पताल में भर्ती डिलेवरी महिलाओं को चाय, नाश्ता खाना भी नहीं मिलता है। साथ ही अन्य संसाधन भी नहीं मिलते हैं।
वर्तमान में अभी यहां एक फार्मासिस्ट, एक एएनएम, एक एएनएम फील्डवर्क, एक एलएचबी पदस्थ है। जबकि इस प्राथमिक केंद्र पर एक डॉक्टर, दो स्टाफ नर्स, एक लेबटेक्निशियन, एक फार्मासिस्ट, जनसंख्या के मान से 4 एएनएम , 2 वार्ड बॉय, एक ड्रेसर, दो सफाई कर्मचारी, दो चौकीदार होना चहिए।
दोराहा. क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अहमदपुर आने वाले मरीजों को स्टाफ की कमी के चलते उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिससे अहमदपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि एक ओर तो सरकार शासकीय अस्पतालों को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन उन दावों का अस्पतालों में जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। प्रदेश के मुखिया कमलनाथ की सख्त हिदायत के बाद भी जिम्मेदारों द्वारा व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। जिसका उदाहरण अहमदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिल रह है, जो इन दिनों भगवान भरोसे ही संचालित हो रहा है। अहमदपुरए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हमेशा से किसी न किसी मुद्दे को लेकर चर्चा में रहा है नोबत यहां तक है की भगवान भरोसे स्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है, हमेशा से ही कोई न कोई नया मामला आए दिन सामने आता है। बताया जाता है कि अस्पताल प्रभारी द्वारा सीएमएचओ को कई बार लिखित मेेंं हम अवगत करा चुके हैं, कि यहां स्टाफ की कमी है। जिस कारण से ऐसी असुविधाएं उत्पन्न हो रही हैं। वरिष्ठ अधिकारी और जिम्मेदारों को अवगत होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में स्टाफ की कमी का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जिसको लेकर ग्रामीण कई बार अफसरों को अवगत भी करा चुके हैं।
मनीष सारस्वत, बीएमओ, नसरुल्लागंज