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सीहोर

ट्रामा सेंटर की लिफ्ट खराब, परिजन के सहारे दूसरी मंजिल तक पहुंच रहे मरीज

परेशानी: प्रबंधन ने लिफ्ट सुधरवाने शासन को लिखा पत्र, मरीज हो रहे परेशान

सीहोरNov 23, 2019 / 03:27 pm

वीरेंद्र शिल्पी

Trauma center lift deteriorated, patients reaching the second floor

Sehore. Patients admitted to the district hospital.

सीहोर. हे भगवान ये कैसा अस्पताल जिसमें ठीक से इलाज मिलने की बजाए पीड़ा मिलती है। ये शब्द उन मरीजों के हैं जो जिला अस्पताल इलाज की आस में आते हैं। उनको यहां सुविधा का अभाव और अनेक समस्या के चलते परेशानी के अलावा कुछ नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति में प्राइवेट क्लीनिक जाकर इलाज के साथ जांच कराना पड़ती है। सुविधाओं की बात करें तो अस्पताल की लिफ्ट बंद है। गंभीर मरीज को दूसरी और तीसरी मंजिल सीढिय़ों के सहारे चढऩा, उतरना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मरीजों को सहूलियत प्रदान करने लिफ्ट लगाई है। यह लिफ्ट पिछले कई समय से खराब होने के कारण सिर्फ शोपीस बनकर रह गई है। प्रबंधन ने इसे चालू कराने की बजाए लिफ्ट खराब है सुधरवाने शासन को पत्र लिखा है का पंपलेट चस्पा कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है।

 

नतीजन गंभीर मरीजों को दूसरी और तीसरी मंजिल पैदल ही उतरना, चढऩा पड़ रहा है। वहीं कई को स्टे्रचर के भरोसे ले जाना पड़ता है। इससे उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति पिछले तीन महीने से बनी हुई है। उसके बावजूद आज तक कुछ नहीं हो सका है। खास बात यह है जिन स्ट्रेचर पर मरीजों को लादकर ले जाते हैं, उनमें से भी कई की हालत बेकार हो गई है।

इलाज के लिए जिलेभर से आते मरीज
जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने से पूरे जिलेभर से यहां मरीज और घायलों को इलाज के लिए लाया जाता है। उनके पहुंचते ही व्यवस्था सामने आती है तो चेहरे पर मायूसी छा जाती है। मरीजों का कहना है कि शासन ने जब करोड़ों रुपए स्वास्थ्य सेवा सुधरने के नाम पर खर्च किए हैं तो फिर इन समस्याओं को दूर करने में क्यों गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इससे सिस्टम पर भी कई तरह के सवालिया निशान खड़े होते हैं। उल्लेखनीय है कि यह समस्या पिछले कई समय से बनी है।
अस्पताल की स्थिति
जिला अस्पताल में डॉक्टर के 28 पद है, जिसमें अभी की स्थिति में सिर्फ 8 ही पदस्थ है। रेडियोलास्टि के 2 और सर्जरी डॉक्टर के 3 पद में से सभी खाली है। इसी प्रकार से 89 के करीब नर्स है, जिनकी संख्या कम है। कहने को तो अस्पताल 200 पलंग का है, लेकिन यह पलंग मरीजों की संख्या के आगे कम पड़ रहे हैं। इससे महिला और पुरूष मेडिकल वार्ड में अधिकांश समय एक पलंग पर दो से तीन मरीजों को इलाज कराते देखा जा सकता है।
सोनोग्राफी के लिए भटक रही महिलाएं
रेडियोलाजिस्ट का ट्रांसफर होने के बाद अस्पताल की सोनोग्राफी मशनी भी शोपीस बनकर रह गई है। इस कारण पिछले पांच महीनों से महिलाओं को सोनोग्राफी कराने इधर उधर भटकना पड़ रहा है। प्रबंधन इस समस्या को दूर करने कई बार उच्च स्तर पर पत्र लिख चुका है। लापरवाही का आलम यह है कि आज तक कुछ नहीं हो सका है।

जिला अस्पताल की लिफ्ट चालू कराने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं अन्य सुविधा बढ़ाने का भी पूरा प्रयास किया जा रहा है। डॉक्टर और संसाधन उपलब्ध कराने उच्च स्तर पर पत्र लिखा है।
डॉ. आनंद शर्मा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल सीहोर

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