कई किसान यूरिया नहीं मिलने से गेहूंं फसल में सिंचाई ही नहीं कर पा रहे हैं। कृषि विभाग ने जिले में 70 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद की डिमांड भेजी है, उसके हिसाब से खाद नहीं अया है। इससे यूरिया की किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को मेहतवाड़ा सोसायटी में खाद आने की किसानों को भनक लगी तो सुबह से ही ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर लाइन में खड़े हो गए। घंटों इंतजार के बाद पर्याप्त खाद नहीं मिलने से किसानों को मायूस लौटना पड़ा। यही स्थिति अन्य सोसायटियों में देखने मिली।
चल रही लगातार सिंचाई
जिले में अक्टूबर महीने में सोयाबीन फसल कटाई कर किसान रबी की तैयारी में जुट गए थे। इससे अब खेतों में गेहूं, चना, मसूर सहित अन्य फसल लहलहाने लगी है। उल्लेखनीय है कि तीन लाख ९४ हजार हेक्टेयर में रबी की बोवनी होना है, जिसमें अभी पौने चार लाख के आसपास हेक्टेयर में बोवनी हो गई है। सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर महीने के दूसरे सप्ताह तक बोवनी का लक्ष्य शत प्रतिशत पूरा हो जाएगा।
300 रुपए से अधिक में मिल रही बोरी
सोसायटियों के चक्कर काटने के बाद किसान बाजार की दुकानों पर यूरिया लेने पहुंच रहे हैं। यहां उनको ३०० या फिर उससे अधिक में एक बोरी खाद दिया जा रहा है। कई दुकानदार एक बोरी यूरिया खाद के साथ जरूरत नहीं होने पर भी एक अन्य खाद का झोला थमा रहे हैं। इस तरह एक बोरी खाद ही झोले के साथ किसानों को 500 रुपए तक में पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि झोले का खाद लेने इनकार करते हैं तो यूरिया की बोरी नहीं दी जाती है।