सोशल मीडिया पर दो वीडियो में से एक में एक किशोर बाइक पर रखकर 20 किलो पोषण आहर लेकर जा रहा है। किशोर आंगनबाड़ी केन्द्र के सामने से जैसे ही पोषण आहर को बोरा लेकर आगे बढ़ता है, कुछ लोग उसे रोक लेते हैं और बोरे के बारे में पूछताछ करते हैं। किशोर ने बताया कि 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उसने 20 किलो पोषण आहर 200 रुपए में खरीदा है। वीडियो में किशोर बता रहा है कि वह पहले भी कई बार पोषण आहर खरीदकर ले जा चुका है। इतनी बात होते ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मोना कुशवाह बाहर आ जाती हैं, वह वीडियो बना रहे युवकों को रोकती हैं और किशोर पर झूठ बोलने के आरोप लगाती हैं। इसके बाद जब युवकों ने कार्यकर्ता कुशवाह से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह पोषण आहर एक्सपायरी डेट का है। उन्होंने किशोर को फोन कर पैसे से पोषण आहर खरीदने के लिए नहीं बुलाया है। वीडियो में कार्यकर्ता पोषण आहर बेचने की बात से इनकार कर रही हैं, लेकिन किशोर अपनी बात पर डटा हुआ है कि वह 10 रुपए किलो में पोषण आहर खरीदता है।
अफसर डिमांड से ज्यादा भेजते हैं आहर
नसरुल्लागंज में पोषण आहर बेचने का कथित वीडियो वायरल होने के बाद पत्रिका ने कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से बात की। कई ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि गलती कार्यकर्ता से ज्यादा अफसरों की है। यह खेल पूरे जिले में चल रहा है, इसमें नीचे से लेकर ऊपर तक के लोग जुड़े हुए हैं। बिलकिसगंजज क्षेत्र की एक कार्यकर्ता ने बताया कि अफसर आंगनबाड़ी केन्द्र पर डिमांड से ज्यादा पोषण आहर बेचते हैं। कार्यकर्ता उसे सेंटर पर रखती है तो वह कुछ दिन बाद एक्सपायर हो जाता है। यदि किसी ने सेंटर पर एक्सपायरी डेट के बोरे देख् लिए तो बवाल हो जाएगा, इसलिए कार्यकर्ता उसे ठिकाने लगाने के लिए बेच देती हैं।
पहले लगे थे वसूली के आरोप
पिछले साल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जिले और परियोजना के आला-अफसरों के खिलाफ काफी बबाल मचाया था। कलेक्टर को ज्ञापन देकर आरोप लगाया कि हर आंगनबाड़ी केन्द्र से पांच सौ रुपए प्रति महीने वसूली की जा रही है। अफसर इसकी जांच कराते उससे पहले ही कार्यकर्ताएं कार्रवाई के डर से पीछे हट गईं। कुछ कार्यकर्ता फिर से वसूली का सिस्टम चालू होने का दावा कर रही हैं। जिले के आला-अफसर जांच कराए तो बड़ा खुलासा हो सकता है।
वर्जन….
– हमने उस लड़के से बातचीत की थी, लड़के ने बताया है कि वीडियो बनाने वालों ने 300 रुपए दिए थे, इसलिए मैंने ऐसा बोला। कार्यकर्ता को शोकाज नोटिस देकर जबाव मांगा है।
गिरीश चौहान, सीडीपीओ एकीकृत बाल विकास परियोजना सीहोर