इलाज के दौरान पहले 30 हजार रुपए जमा करा दिए थे
बच्चे के दादा राजू ने बताया कि चिकित्सकों द्वारा पिछले कई दिनों में इलाज के नाम पर हमसे हजारों रुपए की दवाइयां मंगवाई, लेकिन बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। रविवार रात 3 बजे बच्चे की मौत हो गई। राजू ने बताया कि हमने बच्चे के इलाज के दौरान पहले 30 हजार रुपए जमा करा दिए थे। रविवार को चिकित्सकों द्वारा हजारों रुपए का बिल थमाते हुए पैसा जमा करने के निर्देश दिए। इसके बाद जनप्रतिनिधियों और मीडिया को मृत बच्चे के परिजनों ने पूरा मामला बताया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन बच्चे के शव को लौटाने के लिए राजी हुआ। बच्चे की मौत के 17 घंटे बाद बच्चे के शव को माता-पिता को सौंपा गया।
परिजनों ने की एसडीएम से फोन पर चर्चा
जब अस्पताल प्रबंधन मृत बच्चे के परिजनों को बच्चा लौटाने के लिए राजी नहीं हुआ तो उन्होंने सेंधवा एसडीएम अंशु जावला को फोन कर पूरा मामला बताया। जावला ने परिजनों को कहा कि आप प्रबंधन से बात करें। परिजनों ने बताया कि एसडीएम ने हमें अस्पताल का बिल भरने का सुझाव दिया। अधिकारी ने ये भी कहा कि यदि बच्चे का शव अस्पताल प्रबंधन ना दें तो मामला उनकी जानकारी में जरुर दें। हालांकि शाम को बच्चे का शव लौटाने के बाद पूरा मामला खत्म हो गया।
वर्जन..
नवजात बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा शव न देने का मामला सामने आया था। मैंने परिजनों से अस्पताल प्रबंधन से चर्चा करने की बात कही थी। इसके बाद फिर से मुझे जानकारी से अवगत कराने को कहा था। हालांकि परिजनों का बाद में कोई फोन नहीं आया।
-अंशु जावला, एसडीएमए सेंधवा