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सिवनी

आशा सहयोगी के पद पर नियुक्ति के नाम पर मांगे 20 हजार, पहुंचा जेल

विकासखण्ड घंसौर का मामला

सिवनीOct 03, 2019 / 01:11 pm

santosh dubey

आशा सहयोगी के पद पर नियुक्ति के नाम पर मांगे 20 हजार, पहुंचा जेल

आशा सहयोगी के पद पर नियुक्ति के नाम पर मांगे 20 हजार, पहुंचा जेल

सिवनी. विकासखण्ड घंसौर के ग्राम लुटमरा गांव की निवासी महिला के आशा सहयोगी के पद पर फार्म भरने और इसके बाद की जाने वाली नियुक्ति के नाम पर रिश्वत लेने वाले मोवीलाइजर को सजा सुनाई गई है।
मीडिया सेल प्रभारी मनोज सैयाम ने बताया कि प्रकरण में प्रार्थिया आशा धुर्वे पति पोहप सिंह धुर्वे (32) निवासी ग्राम लुटमरा थाना घंसौर के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र घंसौर मे आशा सहयोगी के पद पर भर्ती निकली थी जिसमे प्रार्थिया के द्वारा भर्ती के लिए फार्म भरा गया था। प्रार्थिया की वरिष्ठता एवं मेरिट के आधार पर उसकी नियुक्ति होना निश्चित था। पंरतु सामुदायिक स्वास्थय केंद्र घंसौर में पदस्थ बिजेन्द्र डहेरिया जो कि बीसीएम (ब्लॉक कम्यूनिटी मोवीलाईजर) के पद पर पदस्थ था के द्वारा आशा धुर्वे से आशा सहयोगी के पद पर नियुक्ति के लिए उससे 20,000 हजार रुपए की मांग कर रहा था और न देने पर नियुक्ति नही होने की बात कर रहा था। उसके द्वारा 20,000 रुपए की रिश्वत नही देना चाहती थी क्योंकि वह उस पद के उपयुक्त और योग्य उम्मीदवार थी और उसका चयन होना ही था। इस कारण उसने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक जबलपुर को आरेापी के द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। जिस पर लोकायुक्त पुलिस जबलपुर द्वारा प्रार्थिया को 16 जून 2015 को आरोपी से रिश्वत संबधी बातचीत को रिकार्ड करने को दिया था जिसमें आरेापी और प्रार्थिया की रिश्वत संबधी बातचीत रिकार्ड कर ली थी और पांच हजार रुपए दे दी थी। जिसकी रिकॉर्डिंग भी की गई थी।
19जून 2015 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घंसौर सिवनी में आरेापी बिजेन्द्र डहेरिया (बीसीएम) को प्रार्थिया आशा धुर्वे से 15000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी से रिश्वत रकम जप्त की गई थी और अन्य कार्यवाही एवं विवेचना पूर्ण कर आरोपी बिजेन्द्र के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय ऋर्षि श्रीवास्तव, विशेष न्यायाधीश भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम सिवनी की न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जिसमें शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दीपा मर्सकोले एवं नवल किशोर सिंह के द्वारा आशा धुर्वे एंव अन्य गवाहों के कथन न्यायालय में कराए गए और अन्य सबूतों को पेश किया गया।
उपरोक्त सबूतों के आधार पर आरोपी बिजेन्द्र डहेरिया को आशा धुर्वे से 15 हजार रुपए रिश्वत लेने के अपराध में दोषी पाते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रुपए अर्थदण्ड एवं भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम 1988 में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रुपए अर्थदण्ड से दंडित करने का निर्णय सुनाया है।

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