झाड़-फूंक के चक्कर में जा रही जान सिवनी. सर्पदंश की घटनाएं होने के बाद अधिकांश लोग झाड़-फूंक के चक्कर में लगे रहते हैं। उसके बाद जब स्थिति बिगड़ जाती है, तो पीडि़त को अस्पताल लेकर पहुंचते हैं। इस बीच मरीज की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि मरीज को बचा पाना डॉक्टर के बस में भी नहीं होता है, फिर भी उपचार किया जाता है। ऐसे वाक्ये आए दिन देखने को मिल रहे हैं।
सर्पदंश के बाद देरी न करें –
जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों में सर्पदंश को लेकर अधिकांश लोग ऐसे होते हैं, जो सर्पदंश के कई घंटों बाद आकर इलाज शुरु कराते हैं। इस मामले में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ पी. सूर्या का कहना है कि सर्पदंश के बाद उस जगह को साफ पानी से धो लेना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके पीडि़त को अस्पताल लेकर पहुंचकर एंटीस्नेक का इंजेक्शन लगवाना चाहिए। सर्पदंश में कई बार ऐसा होता है कि कई सर्प जहरीले नहीं होते हैं। इसलिए बिना घबराए सीधे पीडि़त को अस्पताल लेकर पहुंचना चाहिए। किसी भी तरह की झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पडऩा चाहिए। यदि झाड़-फूंक के चक्कर में समय बर्बाद करेंगे तो निश्चित ही मरीज के शरीर में जहर फैल जाएगा। जिसे बचा पाना मुश्किल होगा।