महंगाई में मूर्तिकार प्रतिमाओं पर बिखेर रहे कला
१० दिन बाद दुर्गा पूजा शुरू होगा।
सिवनी. क्षेत्र में दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। १० दिन बाद दुर्गा पूजा शुरू होगा। श्रद्धालुओं से लेकर व्यवसायी और मूर्तिकार उक्त पर्व को लेकर व्यस्तता बढ़ गर्ई है।
पवारी मोहल्ला में अपने टूटे-फूटे शेड में ये मूर्तिकार अपने परिवार सहित अपनी कला को मूल रुप देने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी माने तो इस काम में आर्थिक लाभ अब पहले जैसा नहीं रहा, लेकिन वंश परंपरा को बनाए रखने के लिए वे इस पेशे से जुड़े हैं। इसकी कई वजह है। मसलन कला और अपने कर्म के प्रति लगाव और ठोस विकल्प का अभाव। पहले की तुलना में शहर में दुर्गा पूजा की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। स्थानीय पवारी मोहल्ला के मूर्तिकार गोपाल ने बताया पूरे साल वे 100-200 मूर्तियां बेच पाते हैं। एक छोटी मूर्ति बनाने में कम से कम दो चार दिन लगते हैं, जबकि बड़ी मूर्तियों के निर्माण में हफ्तेभर का समय लगता है।
गणेश व दुर्गा पूजा की मूर्तियों के लिए उन्हें एक माह पूर्व से ही ऑर्डर मिल जाते हैं। देवी की प्रतिमा बनाने में उन्हें एक माह का समय लगता है। एक अन्य मूर्तिकार ने बताया मूर्तियों के लिए सबसे पहले उन्हें मिट्टी खरीदनी पड़ती है। एक टै्रक्टर मिट्टी की कीमत 3 हजार रुपए हैं। इस मिट्टी से देवी की केवल दो ही बड़ी-बड़ी मूर्तियां बन पाती है। बताया कि छोटी मूर्तियों की कीमत न्यूनतम 5 हजार रुपए है, जबकि बड़ी प्रतिमाओं की कीमत 15-20 हजार रुपए व उससे अधिक है। उनकी माने तो इस काम में आर्थिक लाभ अब पहले जैसा नहीं रहा, लेकिन वंश परंपरा को बनाए रखने के लिए वे इस पेशे से जुड़े हैं। इसकी कई वजह है। मसलन कला और अपने कर्म के प्रति लगाव और ठोस विकल्प का अभाव।
ग्रामीण अंचल कांचना के मूर्तिकार प्रेमलाल राऊत का कहना है कि वह साल में महज 15-20 मूर्तियों ही बना पाते हैं। इससे सालाना 50-60 रुपए हजार आय होती है।
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