उक्त सीआरएस के बाद रेलवे अमले का पूरा जोर भोमा से सिवनी और चौरई से सिवनी के बीच के कार्यों को पूरा करने पर रहेगा। धरातल पर गौर करें तो सिवनी यार्ड में चार लाइन है। प्लेटफार्म, टाइल्स, फ्लोरिंग, रंगाई-पोताई, ग्रिल, रैम्प, ब्रिज गुमटी, दो लेबल क्रासिंग, छिंदवाड़ा क्रासिंग के पास ब्रिज का कार्य आदि अभी तक शुरू नहीं हुआ है। भोमा से सिवनी के बीच भुरकलखापा, डुंगरिया, राघादेही के ब्रिज के कार्य अभी चल रहे हैं। सिवनी से चौरई के बीच पीपरडाही रेलवे स्टेशन का कार्य हो चुका है, लेकिन स्टेशन सहित कुछ स्थानों पर बनाई गई बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर निर्माणदायी कंपनी के खिलाफ रेलवे ने पेनाल्टी की कार्रवाई की है। खास है कि उक्त कार्य को पूरा करने का समय रेलवे ने जून २०२१ रखा है। उक्त समय में ये पूरा होते नजर नहीं आ रहा है।
भोमा से चौरई के बीच अलग-अलग कंपनियों को कार्य मिला है। बरघाट इएलसी से चौरई तक का कार्य रायसिंह कंपनी के पास है। भोमा से बरघाट इएलसी के पहले तक का कार्य सीएल कारला और बिल्डिंग का कार्य त्रिशुल कंपनी आदि के पास है। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी के खिलाफ पेनाल्टी की कार्रवाई की गई है। रायसिंह कंपनी का कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है। इसके कई कार्य पेटी पर दूसरी कंपनिया करा रही है। रेलवे के अधिकारियों से भी उक्त कंपनी के तालमेल सही नहीं बताए जा रहे हैं। धरातल पर सीएल कारला कंपनी का कार्य भी धीमी गति से चल रहा है। खास है कि करीब एक माह के अंदर उक्त सभी कंपनियों के करीब १० करोड़ रुपए के बिल पास किए गए हैं। कुछ माह पूर्व रेलवे के पास पैसे की किल्लत हुई थी। करीब एक माह पहले निरीक्षण पर आए सीएओ के सामने यह मामला आया था। उन्होंने दूसरे मद से निर्माणदायी कंपनियों को भुगतान करने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया। इसके बाद भुगतान की कार्रवाई हुई। सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन ने इस बजट में करीब 150 करोड़ रुपए उक्त परियोजना को दिलाया है।