scriptमोबाइल टॉवरों की बाढ़ से रेडिएशन का बढ़ा खतरा | Flooding of mobile towers increases the risk of radiation | Patrika News
सिवनी

मोबाइल टॉवरों की बाढ़ से रेडिएशन का बढ़ा खतरा

शहर के बाद ग्रामीण अंचल में भी फैल रहा जाल

सिवनीSep 12, 2019 / 05:40 pm

sunil vanderwar

seoni

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सिवनी. आज मोबाईल फोन जिंदगी का आवश्यक हिस्सा बन गया है। हर साल नई कंपनियां दूर संचार के क्षेत्र में उतर रहीं हैं। जितनी कंपनियां उतने ही उनके ट्रांस्मीशन टॉवर भी अपना कवरेज एरिया फैलाते जा रहे हैं। रहवासी इलाकों में भी टॉवरों की बाढ़ सी आ गई है लेकिन लोगों को इनसे होने वाली परेशानियों का एहसास अभी परोक्ष रूप से नहीं है। केवलारी क्षेत्र में लगातार ये टॉवर खड़े होते चिंता का विषय बन रहे हैं।
सेवा देने वाली कंपनियों के लगाए गए टॉवर अब लगभग सभी जगह नजर आने लगे हैं। चाहे घनी आबादी हो, हॉस्टल, अस्पताल तंग गलियां या खेत खलिहान। इनके आसपास मोबाइल कंपनियों के टॉवर्स की तादाद भी बढ़ती ही जा रही है। कस्बाई इलाकों में भी मोबाइल टॉवरों की बाढ़ आ गई है। इनसे निकलने वाले इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन के साथ ही ये प्राकृतिक आपदा के समय खतरनाक हो सकते हैं। बावजूद इसके कंपनियां इसकी अनदेखी करते हुए इमारतों और घरों के बिलकुल पास मोबाइल टॉवर लगाए हुए हैं।
मानकों के अनुसार भूकंप या अन्य आपदा से बचने के लिए टॉवर का सिविल कंस्ट्रक्शन भूकंप रोधी होना जरुरी है। प्रशासन इन टॉवर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। तंग गलियों, स्कूल व अस्पताल की छत पर या आसपास टॉवर स्थापित न करने का नियम बनाया गया है, लेकिन शहर की तंग गलियों और कई कॉलोनियों में टॉवर लगा दिए गए हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल फोन टॉवर से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन ईएमआर निकल रहा है जो न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि अन्य जीवों, पक्षियों के लिए भी खतरनाक है। इससे याददाश्त का खोना, सिरदर्द, एलर्जी, मोतियाबंद, ब्रैन ट्यूमर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। आसपास के क्षेत्रों में भी ईएमआर का दुष्प्रभाव होता है। देश भर में कंपनियां सिग्नल क्षमता बढ़ाने के लिए निर्धारित क्षमता से अधिक रेडिएशन छोड़ रहीं हैं। ईएमआर के कारण सिरदर्द की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। टॉवर लगाने पर बढ़ते विरोध के कारण अब कंपनियां टॉवर शेयर जैसे फैसले ले रही हैं। यानी एक टॉवर पर चार कंपनियों के बीटीएस लगाए जा सकेंगे। टॉवर पर लगाए गए बीटीएस या बेल बेस ट्रांस रिसीव स्टेशन के कारण नेटवर्क मिलता है।

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