सिवनी की जेल में 149 दिन बंदी रहे हैं नेताजी सुभाष, पढि़ए पूरी खबर
ब्रिटिश हुकूमत ने कारागार में किया था निरुद्ध
सिवनी की जेल में 149 दिन बंदी रहे हैं नेताजी सुभाष, पढि़ए पूरी खबर
सिवनी. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जैसे नारे बुलंद कर देश की आजादी के दीवानों में क्रांति का जोश बढ़ाने वाले आजाद हिंद फौज के सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर जिले के विभिन्न विद्यालयों, स्थानों पर आयोजन किए गए। इधर पुराने जेल भवन में भी बुधवार को नेताजी की स्मृति स्थल पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
आजाद हिन्द फौज का गठन कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देशवासियों में प्राणवायु फूंकने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की स्मृतियां सिवनी से भी जुड़ी हैं। ब्रिटिश हुकूमत ने १४९ दिन नेताजी सुभाष को सिवनी कारागार में निरुद्ध किया था, इनकी स्मृतियां आज भी उसी स्वरूप में सुरक्षित हैं।
थाना कोतवाली के पीछे स्थित पुराने जेल भवन में देश के महान जननायकों को ब्रिटिश हुकूमत ने निरुद्ध किया था, उस भवन में अब बाल संरक्षण गृह (सुधारालय) का संचालन किया जा रहा है। हालांकि जननायकों की स्मृतियों को मूल स्वरूप में रखे जाने के पूरे प्रयास हुए, जिससे ये सभी स्मृतियां सुरक्षित हैं।
पुराने जेल भवन में दर्ज रिकार्ड के अनुसार वर्ष १९३२ के जनवरी महीने की ०३ तारीख को ब्रिटिश हुकूमत ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को सिवनी कारागार में लाया था, यहां नेताजी को ३० मई १९३२ तक बंदी के रुप में रखा गया था। इस दौरान नेताजी के साथ कई और महान क्रांतिकारी भी रहे हैं, जिनमें मुख्य रुप से नेताजी के भाई शरदचंद्र बोस भी शामिल हैं। इसी कारागार में आचार्य विनोबा भावे, माधव सदाशिव गोलवलकर, शिवदास डागा, सेठ गोविंद दास व अन्य भी निरुद्ध हुए थे। इस कक्ष को स्मृति कक्ष नाम देकर आज भी उसी स्वरूप में रखा गया है।
कारागार में रहने के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा अपना भोजन स्वयं पकाया जाता था। बंदी कक्ष के ठीक सामने रसोई कक्ष है, जिसमें चूल्हे पर नेताजी प्रतिदिन अपना भोजन बनाया करते थे। इस स्थान को भी बाल सुधारालय प्रबंधन द्वारा स्मृति स्वरुप संजोकर अपने मूल स्वरुप में रखा गया है।