पेंच प्रबंधन कर रहा गजराजों की खातिरदारी
पेंच टाइगर रिजर्व में हो रहा रिजुवेशन कैंप
प्लास्टिक विनिष्टिकरण का प्लांट लंबे समय से बंद
सिवनी. एक तरफ जहां लोग गजानन की पूजा करने में लीन हैं। तो वहीं पेंच टाइगर रिवर्ज का अमला भी अब अपने गजराजों की सेवा करने जा रहा है। यहां पर पांच दिनों तक हाथियों की खातिरदारी होगी। दरअसल, पेंच के प्योरथड़ी बीट में पांच सितंबर से सेजुवेशन कैंप का आयोजन पांच दिनों तक किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां हो चुकी हैं। हालांकि पार्क का अमला इस बार हाथियों की सेहत को लेकर गंभीर नजर आ रहा है। इसके लिए बकायदा जिमेदारियां तय कर दी गई है और सभी को निर्देश दिए जा चुके हैं।
ऐसा होगा काम-
हाथियों की सेहत अच्छी रहे इसके लिए कैंप में अलग-अलग दिन उनके लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं होंगी। पांचों दिन मनपसंद भोजन, इसमें अतिरिक्त पौष्टिक आहार के लिए विशेष भोजन दिया जाएगा। हाथियों को महावत नहलाकर राई के तेल से उनकी मालिश करेंगे। नाखून, कान, दांतों की सफ ाई व घिसाई की जाएगी। साथ ही उनके ब्लड के सेंपल लिए जाएंगे ताकि उनमें कोई बीमारी तो नहीं है, इसका पता लगाा जा सके। दवा भी दी जाएगी। यह काम अलग-अलग दिनों में तय मीनू के अनुसार किया जाएगा।
पार्क में पांच हाथी मौजूद-
पेंच पार्क में पांच हाथी मौजूद हैं। इसमें सबसे बुजुर्ग नर जंगबहादुर के अलावा युवा हाथी गणेशा शामिल है। वहीं तीन मादा हाथियों में दामिनी, सरस्वती और सोरेन शामिल है। पेंच टाइगर रिवर्ज में हाथियों की सेहत के लिए पांच दिन खास होंगे। इस बीच पेंच के पांच हाथियों की खातिरदारी की जाएगी। मनपसंद खुराक के साथ ही कैप में हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। जरूरी तैयारियां प्रबंधन ने कर ली हैं। कैंप में अलग अलग दिन पर हाथियों की सेहत पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जरूरी है उनकी सेहत-
ज्ञात हो कि पूरे साल पार्क प्रबंधन हाथियों की मदद गश्ती व दूसरे कामों में लेता है। कैप के दौरान हाथियों को पूरी तरह से आराम दिया जाता है। साथ ही उन्हें सेहतमंद भोजन दिया जाता है। ताकि वे अच्छी तरह से काम कर सकें। उनकी सेहत हमेशा बेहतर बनी रही और वे महावत के अनुसार काम करे इसके लिए भी उनकी देखभाल जरूरी हो जाती है। हालांकि पार्क में नए हाथियों की आमद नहीं हुई। पूर्व में दो हाथी कर्नाटक से लाने का प्रस्ताव था। लेकिन उस पर काम नहीं हो पाया है।
पर्यटकों के लिए हाथी नहीं-
टाइगर शो के बंद होने के बाद पार्क प्रबंधन ने पर्यटकों के लिए हाथियों को देना बंद कर दिया। पहले बकायदा शुल्क लेकर हाथी में बैठाकर टाइगर शो कराया जाता था। बाद में बढ़ते खतरे और घटनाओं को देखते हुए शासन ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया। बाद में हाथियों की मदद गश्त और अन्य कामों के लिया जाने लगा है। वर्तमान में टाइगर रेस्क्यू के अलावा अन्य रेस्क्यू अभियान में हाथियों की मदद ली जा रही है
इनका कहना है-
हाथियों की सेहत का ध्यान रखा जा रहा है। रिजुवेश कैप में तय चार्ट के अनुसार काम होगा। पांच दिनों तक हाथियों की खातिरदारी होगी। यह जरूरी भी है। हर साल यह कैंप हो रहा है।
विक्रम सिंह परिहार, फील्ड डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व
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