इंजीनियर, डाक्टर, सैनिक व शिक्षक बनना चाहते हैं विद्यार्थी
आदिवासी विकासखंड में शिक्षा की अलख जगा रही आमगांव शाला
इंजीनियर, डाक्टर, सैनिक व शिक्षक बनना चाहते हैं विद्यार्थी
सिवनी. कुरई विकासखंड में शिक्षा के क्षेत्र में प्रकाश की नई किरण नजर आ रही हैं। लॉकडाउन के बाद यहां शासकीय प्राथमिक माध्यमिक शाला आमगांव को एक शाला एक परिसर से जोड़ दिया गया है। वर्तमान में यहां के शिक्षकों के कारण यह शाला अपनी अलग पहचान बना रही है।
यहां पर कक्षा 7वीं की आयुष चंद्रवंशी को 23 का पहाड़ा तथा राजेश्वरी चंदेल को 19 का पहाड़ा कण्ठस्थ है। इसी तरह शीतल चंदेल महिमा चंदेल भी अपने कार्यों में निपुण है। अंग्रेजी एवं हिन्दी भाषा में राइटिंग की सुंदरता देख दुर्गेश्वरी सनोडिया को तो लोगों ने पुरस्कृत भी किया है। इस शाला में प्राइमरी में 43 तथा माध्यमिक 42 बच्चे हैं, जो पूर्ण लगन के साथ अध्यापन कार्य करते है। घर में पढ़ाई का वातावरण नहीं होने के बावजूद प्रधानपाठक घनश्याम ठाकुर द्वारा बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी माध्यम से अध्यापन कराते हैं। सहायक शिक्षक अविनाश पाठक द्वारा शाला में बच्चों को विभिन्न कहानियों के चित्र के माध्यम से प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा हैं, वहीं भूगोल के ग्रह नक्षत्र की जानकारी भी दी जा रही है। इतना ही नहीं गिनती, पहाड़ा, गणित नापतौल दिन की गणना जैसे अनेक प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं। न्याज खान ने बताया कि वर्तमान में जिला शिक्षा अधिकारी रविसिंह बघेल एवं जिला शिक्षा केन्द्र प्रभारी गोपालसिंह की प्रेरणा से शाला को उन्नयन का सौभाग्य मिला है।
बच्चों ने बताया कि वह अध्यापन के पश्चात इंजीनियर, डाक्टर, सैनिक, पुलिस एवं शिक्षक बनना चाहते हैं। कोरोना के कारण कम खेलने को मिलता है तथा इस बार हम कुछ अच्छा करेंगे। परीक्षा फल में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे। शिक्षक राजू बघेल ने बताया कि शिक्षक समाज का दर्पण है और क्षेत्र के लोगों के प्रयास से कुछ नया करने का हमने लक्ष्य रखा है।
शिक्षक सीमा चौरसिया ने बताया कि इस शाला में प्रवेश के दौरान जो कमजोर थे उन बच्चों को नवाचार के तहत प्रयोग कर उन्हें अन्य विद्यार्थियों की तरह मजबूत करने का प्रयास किए जा रहे हैं। कुसुम सोनी ने बताया कि बच्चों का शाला के प्रति लगाव के कारण मन में इनके भविष्य को लेकर कुछ करने की भावना है। राजकुमार टेम्भरे ने कहा कि इन बच्चों के प्रोत्साहन के लिए समय-समय पर लोग आते रहे तो इन बच्चों का मनोबल बढ़ेगा। प्रधानपाठक ने कहा कि पहले इस शाला के बच्चों को अन्य शाला में प्रवेश नहीं दिया जाता था, लेकिन अब इस शाला के बच्चों को प्रवेश के लिए अन्य शालाएं ललायित रहती है।
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