मानव हृदय में अङ्क्षहसा सबसे बड़ा धर्म है: आर्यिका दृढ़मति माता
अश्व पर सवार सार्थी बहिनों ने प्रतिनिधित्व
मानव हृदय में अङ्क्षहसा सबसे बड़ा धर्म है: आर्यिका दृढ़मति माता
सिवनी. नगर में बुधवार को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मकल्याणक महोत्सव को जैन समुदाय ने हर्षोल्लास से मनाया। जिसमें सुबह श्रीजी का अभिषेक पूजन, आरती कर भगवान महावीर का जन्म कल्याणक मनाया गया।
नगर के शुक्रवारी चौक जैन मंदिर से शाम चार बजे शोभायात्रा निकाली गई। श्रीजी का अभिषेक, पूजन एवं पाठशाला के बच्चों द्वारा रैली निकाली गई वहीं दूसरी ओर श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा भी भव्य जुलूस निकाला गया दोपहर में दिगम्बर जैन समाज द्वारा श्रीजी की विशाल भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें रजत रथ पर श्रीजी की प्रतिमा बाजेगाजे के साथ निकाली गई। शोभायात्रा नेहरू रोड, बुधवारी बाजार, शंकर मढिय़ा, नगर पालिका चौक, बस स्टैण्ड, दल सागर तालाब, कचहरी चौक समेत अनेक मार्गों से निकाली गई। शोभायात्रा में शामिल लोगों को समाज सेवियों ने शर्बत, पानी आदि का वितरण किया गया। शोभायात्रा में जनप्रतिनिधि, समाजसेवियों ने भी बढ़चकर हिस्सा लिया।
यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ यज्ञ अंहिसा, आर्यिका दृढ़मति
वाणी में सरसता और मन में मृदुता का उदय अंहिसा है। क्रूर से क्रूर मनुष्य के मन में भी करूणा होती है। समस्त दानों में दयादान श्रेष्ठदान है। दयादान भी अंहिसा है किसी भी धर्म दानी में दयादान श्रेष्ठ है, यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ यज्ञ अंहिसा है। सारे तीर्थों में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, हृदय में अंहिसा के भाव के जाग्रत होते ही उससे कई गुना पुण्य का अर्जन होता है। यही बात भगवान महावीर स्वामी ने कही है और इसी बात को आचार्य विद्यासागर महाराज की शिष्या आर्यिका दृढ़मति माताजी ने महावीर जयंती के अवसर पर दिगम्बर जैन मंदिर प्रांगण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सुबह छह बजे ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया गया, तदोपरान्त पूजन, अभिषेक एवं मंगल प्रवर्चन का कार्यक्रम आर्यिका संघ के सानिध्य में राम मंदिर प्रांगण में आयोजित किया गया।
इस दौरान आहारचर्या के उपरान्त दोपहर तीन बजे भगवान महावीर की रजतरथ पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें प्रथम पंक्ति में अश्व पर सवार सार्थी बहिनों ने प्रतिनिधित्व किया। इसके पश्चात एकत्व महिला परिषद एवं घर-घर पाठशाला की महिलाओं ने रंग-बिरंगे परिधानों के माध्यम से णमोकार मंत्र की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया। इसी कड़ी में परी के रूप में धर्म का गुणगान करती हुई बच्चों की टोली जनाकर्षण का केन्द्र रही। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत सेना की सिपाही की भांति मोर्चा संभाले हुए बच्चें धर्म की ध्वजा लहरा रहे थे और महावीर व्यायामशाला के सदस्य शिवनारायण सोनी के सानिध्य में व्यायामशाला के बच्चों की भांति परेड धुन बजाती हुई बच्चियां जुलूस का प्रतिनिधित्व कर रही थी।
इसी कड़ी में युवा वर्ग सिर पर पगड़ी बांधे महावीर जयंती के जयकारे लगा रहे थे। सद्भाव की भावना को जाग्रत करने के लिए समाजसेवी व गणमान्यजन उपस्थित हुए। इस दौरान दिव्यांग स्कूल एवं जिला अस्पताल व बालिका छात्रावास में जाकर फल वितरण का कार्यक्रम भी समाज के युवाओं द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में चन्द्रशेखर जैन, प्रभात कुमार जैन, सुनील कुमार जैन, सुनील बैशाखिया, चन्द्रकुमार बैशाखिया, राजेन्द्र जैन, आनंद जैन, अभय जैन, निर्मल जैन, प्रफुल्ल जैन, सुशील कौशल, आलोक जैन, नितीन गोयल, विवेक बाझल, संदीप बाझल, संदेश दिवाकर, चंदन जैन, राकेश चौधरी, विनय पाईया, सुबोध बाझल, संजय नायक, विपनेश जैन, संजय जैन सहित महिला मंडल के शक्करबाई जैन, नीलम बाझल, सुनीता बाझल, प्रीति कौशल, डॉ. अनुभा जैन, डॉ. सुनंदा जैन, शतादी बाझल, अंजली जैन तथा बालिका मंडल की समस्त बालिकाओं का सहयोग रहा।
केवलारी, धनौरा, बरघाट में जैन समाज ने निकाली शोभायात्रा
जैन समुदाय ने केवलारी, धनौरा, बरघाट में भगवान महावीर के जन्मकल्याणक महोत्सव हषोल्लास के मनाया। सुबह से ही श्रीजी का अभिषेक पूजन, आरती कर भगवान महावीर का जन्म कल्याणक मनाया गया। इसके बाद भगवान महावीर को विमान में रख कर विशाल शोभायात्रा जुलुस निकाला गया। घंसौर में जुलूस स्थानीय पाश्र्वनाथ जिनालय बड़े जैन मंदिर से निकला जिसमें सभी जैन धर्मावलंबियों ने अपने-अपने घरों के सामने रंगोली सजाकर भगवान महावीर के विमान जुलूस की आगवानी की एवं दीप जलाकर आरती की। बड़े जैन मंदिर से निकलकर कमानिया गेट, महावीर जिनालय, गणेश चौक, झण्डा चौक, पुराने बस स्टेंड से वापिस होकर पुन: बड़े जैन मंदिर में पंहुचा। जहां नगर भ्रमण के पश्चात श्रीजी अभिषेक शांति धारा, महाआरती की गई।
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