विद्यालय में विज्ञान की सामग्री उपलब्ध ना होने पर शिक्षक ने स्वयं के व्यय पर विज्ञान की प्रायोगिक सामग्री क्रय कर विद्यालय में उपलब्ध कराई और बच्चों के प्रश्नों का विभिन्न प्रयोग व प्रदर्शन के माध्यम से ज्ञानवर्धन किया। सौरमंडल के मॉडल की सहायता से उन्होंने बताया कि किस प्रकार पृथ्वी का जो हिस्सा सूर्य के सामने होता है वहां दिन और जो हिस्सा सूर्य से विपरीत दिशा में होता है वहां रात होती है। कैसे अलग-अलग आकार की 2 गेंदों को एक समान ऊंचाई से गिराने से एक साथ एक समय में पृथ्वी पर आते है उन्होंने बताया कि किस तरह पानी की सहायता से बिजली उत्पन्न की जाती है। कैसे पवन चक्की का उपयोग कर विद्युत उत्पादन की जाती है। किसी भी वस्तु को जलाने में ऑक्सीजन सहायक होती है, इस तथ्य को प्रयोग के माध्यम से करके समझाया।
शिक्षक के द्वारा एक स्टील की प्लेट में पानी भरकर उसमें एक समतल दर्पण आधा डूबा कर धूप में रख दिया गया और बच्चों ने देखा कि तुरंत ही दीवार पर सात रंगों का मनमोहक इंद्रधनुष बन गया है। जिसे देखकर बच्चे बहुत ही प्रसन्न होकर तालियां बजाने लगे। जलीय पौधे किस प्रकार प्रकाश संश्लेषण में ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। इस प्रयोगों को बीकर कीप परख नली और जलीय पौधों की सहायता से प्रत्यक्ष कर के दिखाया। किस प्रकार गणित को विज्ञान से जोड़ा जा सकता है अनुपात के आधार पर ऊंचाई निकालना समझाया और छात्रों ने विद्यालय में लगे पेड़ की ऊंचाई निकाल कर स्वयं अध्ययन किया।
शिक्षक ने बताया किस प्रकार प्रिज्म में सूर्य की किरण दूसरी ओर से निकलकर सात रंगों में फैल जाती हैं, यह प्रयोग करके दिखाया। एक मोमबत्ती और तीन गत्तों की सहायता से प्रकाश सीधी रेखा में गति करता है। इस प्रयोग को बच्चों के समक्ष करके दिखाया। विद्यार्थियों के द्वारा समस्त प्रयोगों को अपने समक्ष होते देखकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान हुआ और उन्होंने स्वयं प्रयोग करके इनका अनुभव प्राप्त किया। शिक्षक के इस प्रयास की ग्रामीणों, अभिभावकों द्वारा सराहना की जा रही है।
बच्चों ने पूछे ये सवाल, पाया जवाब –
बिजली कैसे बनती है। बरसात कैसे होती है। पानी के अंदर के पौधे भोजन कैसे बनाते हैं। जीव जंतु सांस कैसे लेते हैं। भारी और हल्की चीज ऊंचाई से गिराने पर क्यों एक साथ नीचे आती है। मोटी और पतले पाइप से पानी की टंकी खाली करने पर कौन सी टंकी जल्दी खाली होगी। इसके अलावा कई और प्रश्नों पर विद्यार्थियों ने विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
शिक्षक के द्वारा एक स्टील की प्लेट में पानी भरकर उसमें एक समतल दर्पण आधा डूबा कर धूप में रख दिया गया और बच्चों ने देखा कि तुरंत ही दीवार पर सात रंगों का मनमोहक इंद्रधनुष बन गया है। जिसे देखकर बच्चे बहुत ही प्रसन्न होकर तालियां बजाने लगे। जलीय पौधे किस प्रकार प्रकाश संश्लेषण में ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। इस प्रयोगों को बीकर कीप परख नली और जलीय पौधों की सहायता से प्रत्यक्ष कर के दिखाया। किस प्रकार गणित को विज्ञान से जोड़ा जा सकता है अनुपात के आधार पर ऊंचाई निकालना समझाया और छात्रों ने विद्यालय में लगे पेड़ की ऊंचाई निकाल कर स्वयं अध्ययन किया।
शिक्षक ने बताया किस प्रकार प्रिज्म में सूर्य की किरण दूसरी ओर से निकलकर सात रंगों में फैल जाती हैं, यह प्रयोग करके दिखाया। एक मोमबत्ती और तीन गत्तों की सहायता से प्रकाश सीधी रेखा में गति करता है। इस प्रयोग को बच्चों के समक्ष करके दिखाया। विद्यार्थियों के द्वारा समस्त प्रयोगों को अपने समक्ष होते देखकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान हुआ और उन्होंने स्वयं प्रयोग करके इनका अनुभव प्राप्त किया। शिक्षक के इस प्रयास की ग्रामीणों, अभिभावकों द्वारा सराहना की जा रही है।
बच्चों ने पूछे ये सवाल, पाया जवाब –
बिजली कैसे बनती है। बरसात कैसे होती है। पानी के अंदर के पौधे भोजन कैसे बनाते हैं। जीव जंतु सांस कैसे लेते हैं। भारी और हल्की चीज ऊंचाई से गिराने पर क्यों एक साथ नीचे आती है। मोटी और पतले पाइप से पानी की टंकी खाली करने पर कौन सी टंकी जल्दी खाली होगी। इसके अलावा कई और प्रश्नों पर विद्यार्थियों ने विस्तृत जानकारी प्राप्त की।