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सिवनी

जीर्ण-शीर्ण नहीं होता शौचालय तो जीवित होते दोनों लाल, कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी

– रोते हुए मृतक छात्रों की माताएं बोली, क्यों भेज दिया बच्चों को स्कूल

सिवनीJul 01, 2022 / 03:49 pm

akhilesh thakur

जीर्ण-शीर्ण नहीं होता शौचालय तो जीवित होते दोनों लाल, कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी

जीर्ण-शीर्ण नहीं होता शौचालय तो जीवित होते दोनों लाल, कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी

अखिलेश ठाकुर सिवनी. प्राथमिक शाला झिरिया टोला के दो छात्रों की मौत ने शिक्षा महकमे पर सवाल खड़ा कर दिया है। कुरई विकासखंड के 23 जीर्ण-शीर्ण शालाओं में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। शौचालय ऐसे हैं कि उसमें कोई जा नहीं सकता। अब दो छात्रों की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि वे जिस शाला में पढ़ते थे। उसका शौचालय जीर्ण-शीर्ण था। उनको दोपहर १२ बजे शाला से शौच के लिए बाहर जाना पड़ा और तालाब में डूबने से जान निकल गई। दोनों मृतक छात्रों की माताएं रोते हुए बार-बार कह रही थी कि यदि शाला का शौचालय जीर्ण-शीर्ण नहीं होता तो मेरे लाल जीवित होते। क्यों भेज दिए मैंने उनको स्कूल?

अब जिस मां का बेटा इस दुनिया से चला गया वह तो लौटकर नहीं आएगा, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सवाल यह है कि शौचालय जीर्ण-शीर्ण होने से छात्रों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ा। शौचालय बनाने और मरम्मत की जिम्मेदारी शिक्षा महकमे की है। ऐसे में मौत के लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्या शिक्षा विभाग के आला अधिकारी आगे आकर जिम्मेदारी लेंगे या फिर पुलिस की जांच की औपचारिकता पूरी होने और शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद के बाद सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा। बेटे को खोने के बाद परिवार पर क्या बीत रही होगी? इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। परिवार जीवनभर पुत्र की मौत से नहीं उबर पाएगा। परिजनों को बार-बार यह बात सताएगी कि वह क्यों अपने बेटे को उस शाला में भेज रहा थे, जहां का शौचालय जीर्ण-शीर्ण था। उनकी बातों से भी ऐसा लग रहा है।
शिक्षा महकमे की बात करें तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक को हर माह मोटा वेतन मिलता है। एक माह वेतन में विलंब हुआ तो वे शासन के नाक में दम कर देते हैं। लेकिन जिन नौनिहलों को पढ़ाने और उनको उचित सुविधा प्रदान करने की जिम्मेदारी उनके कंधे पर है, उस तरफ शासन-प्रशासन ध्यान नहीं देता है तो वे पत्राचार करने और रिमाइंडर भेजने की बात कहकर क्यों पल्ला झाड़ लेते हैं। क्यों नहीं शिक्षक संगठन और अधिकारियों का संगठन इसके लिए मुखर होता है। उनको एक बार यह सोचना होगा कि क्या ऐसा कर वे अपने कत्र्तव्यों का सही निर्वाहन कर रहे हैं? क्या वे लोगों केवल अपने निजी हित के लिए ही शासन से मुखर होकर सवाल-जवाब और प्रदर्शन करेंगे? बच्चों की सुविधाओ को लेकर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है? यदि परिजनों ने अपने छात्र-छात्राओं को स्कूल भेजना बंद कर दिया तो वे किसके लिए नौकरी करेंगे? शासन उनको किसलिए वेतन देगा? यदि संगठन इन बातों को लेकर गंभीरता से विचार नहीं किया तो कुरई विकासखंड में 23 जर्जर विद्यालय और शौचालय है? फिर किसी प्रियांशु व यश को अपने प्राण देने पड़ सकते हैं। ऐसे में समय रहते उनको इस तरफ ध्यान देना होगा।

(डीपीसी व प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जीएस बघेल से घटना को लेकर ‘पत्रिका’ के सवाल और उनके जवाब।)

सवाल – जीर्ण-शीर्ण शौचालय होने से दो बच्चे शौच के लिए बाहर गए। तालाब में डूबने से मौत हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं?
जवाब – बीआरसी को मौके भेजकर प्रतिवेदत मंगाया हूं। प्रतिवेदन आने के बाद यदि कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
सवाल – शिक्षक संगठन और अधिकारियों का संगठन अपनी निजी मांगों को लेकर शासन से मुखर होकर सवाल-जवाब करता है। प्रदर्शन करता है। क्या कभी जर्जर भवन को लेकर किया है?
जवाब – नहीं। इसको लेकर कभी किसी संगठन ने अपनी बात नहीं रखी है।
सवाल – जर्जर भवन व शौचालय मरम्मत को लेकर क्या केवल पत्राचार तक ही विभाग सिमित है?
जवाब – नहीं। प्रतिवर्ष योजना बनाकर भेजा जाता है। शासन से बजट आता है। मरम्मत कार्य कराया जाता है।
सवाल – प्राथमिक शाला झिरिया टोला के जीर्ण-शीर्ण शौचालय का मरम्मत क्यों नहीं हुआ? क्या वहां बजट का हिस्सा नहीं गया था?
जवाब – बजट बहुत ज्यादा नहीं होता है। शाला निधि से भी मरम्मत के कार्य कराए जाते हैं। 10 से 25 तक दर्ज संख्या जिस शाला की होती है। वहां 12 हजार पांच सौ रुपए निधि में मिलते हैं। प्रतिवेदन आने के बाद देखा जाएगा कि वहां मरम्मत क्यों नहीं कराया गया।
सवाल – मौत के लिए कौन दोषी है, इसकी जिम्मेदारी कब तक तय की जाएगी?
जवाब – यह गंभीर मामला है। प्रतिवेदन रिपोर्ट के आने के बाद इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।

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