अब जिस मां का बेटा इस दुनिया से चला गया वह तो लौटकर नहीं आएगा, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सवाल यह है कि शौचालय जीर्ण-शीर्ण होने से छात्रों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ा। शौचालय बनाने और मरम्मत की जिम्मेदारी शिक्षा महकमे की है। ऐसे में मौत के लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्या शिक्षा विभाग के आला अधिकारी आगे आकर जिम्मेदारी लेंगे या फिर पुलिस की जांच की औपचारिकता पूरी होने और शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद के बाद सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा। बेटे को खोने के बाद परिवार पर क्या बीत रही होगी? इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। परिवार जीवनभर पुत्र की मौत से नहीं उबर पाएगा। परिजनों को बार-बार यह बात सताएगी कि वह क्यों अपने बेटे को उस शाला में भेज रहा थे, जहां का शौचालय जीर्ण-शीर्ण था। उनकी बातों से भी ऐसा लग रहा है।
(डीपीसी व प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जीएस बघेल से घटना को लेकर ‘पत्रिका’ के सवाल और उनके जवाब।) सवाल – जीर्ण-शीर्ण शौचालय होने से दो बच्चे शौच के लिए बाहर गए। तालाब में डूबने से मौत हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं?
जवाब – बीआरसी को मौके भेजकर प्रतिवेदत मंगाया हूं। प्रतिवेदन आने के बाद यदि कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
जवाब – नहीं। इसको लेकर कभी किसी संगठन ने अपनी बात नहीं रखी है।
जवाब – नहीं। प्रतिवर्ष योजना बनाकर भेजा जाता है। शासन से बजट आता है। मरम्मत कार्य कराया जाता है।
जवाब – बजट बहुत ज्यादा नहीं होता है। शाला निधि से भी मरम्मत के कार्य कराए जाते हैं। 10 से 25 तक दर्ज संख्या जिस शाला की होती है। वहां 12 हजार पांच सौ रुपए निधि में मिलते हैं। प्रतिवेदन आने के बाद देखा जाएगा कि वहां मरम्मत क्यों नहीं कराया गया।
जवाब – यह गंभीर मामला है। प्रतिवेदन रिपोर्ट के आने के बाद इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।