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शाहडोल

85 साल पुराना है ये स्कूल, महाराजा ने दी थी जमीन, टाटा ने दिया था फंड, तब बना था ये स्कूल

जानिए इस स्कूल के बारे में, आखिर क्यों है खास?

शाहडोलJan 23, 2018 / 04:03 pm

Shahdol online

85 years old this school the Maharaja gave land Tata had given fund
शहडोल- जब इतिहास की बातें होती हैं । तो बहुत रोचक बातें निकलकर सामने आती हैं। संभाग के नामचीन स्कूल रघुराज स्कूल का इतिहास भी बहुत ही Intresting है। ये स्कूल आजादी से पहले का है। कई सालों से संचालित होता आ रहा है। और आज पूरे संभाग में अपनी एक अलग पहचान बनाकर रखे हुए है।
ऐसे स्थापित हुआ रघुराज स्कूल
इस स्कूल का इतिहास 85 साल पुराना है। 10 अगस्त 1933 से ये स्कूल अनवरत चल रहा है। 1986 में इस स्कूल ने 50 साल पूरे होने पर स्वर्ण जयंती मनाई थी। रीवा के महाराज रघुराज सिंह जी के नाम पर इस स्कूल का नाम पड़ा। महाराजा रघुराज सिंह के वंशज महाराजा गुलाब ङ्क्षसह जब रीवा राज्य की गद्दी पर बैठे तब उनका ध्यान शिक्षा को बढ़ावा देने की ओर गया। जिसके बाद पूरे रीवा राज्य में शिक्षा की एक अलग ही लहर दौड़ गई। जिसके बाद महाराजा गुलाब सिंह जी का ध्यान शहडोल नगर की ओर गया, जिसके बाद सन् 1931 मार्च के महीने से इसके लिए प्रयास शुरू हो गया। इस संस्था में पहले दूसरी तक की शिक्षा का प्रबंध था जो रामकुमार लायब्रेरी के भवन में पाठशाला लगती थी। इसके बाद सोहागपुर में कक्षा 7 तक की पढ़ाई का मिडिल स्कूल खोला गया। जिससे 8वीं तक की शिक्षा दी जाने लगी। 1943-44 में यहां पर हाई स्कूल हो गया।
पंडित शंभूनाथ शुक्ल के लीडरशिप में इस शहर में स्कूल के निर्माण की आवश्यकता पर बार-बार जोर देने पर संयोग से तत्कालीन रीवा नरेश महाराजा गुलाब सिंह भी रियासत के आधुनिकीकरण की ओर जोर देेने लगे। वो जीवन के लिए अशिक्षा को बहुत बड़ी बाधा मानते थे।
1931 मार्च में बुलाई गई बैठक
1931 मार्च में शहडोल के नागरिकों की एक बैठक बुलाई गई। बंबई के एक बड़ी फर्म रतन जी शापुड़ जी टाटा के कार्यकर्ता शोराब जी टाटा ने जो रीवा राज्य में छोटी वनोपज की खरीद का ठेका लिया करते थे। शहडोल में एक स्कूल बनवाने के लिए स्वेच्छा से तैयार हो गए। उस समय शंभूनाथ जी के कहने पर जन सहयोग भी लिया गया। टाटा जी के प्रयास से रघुराज स्कूल का भवन 1932 में बनना शुरू हुआ।
10 अगस्त 1933 को रीवा नरेश महाराजा गुलाब सिंह जी ने इसका उद्घाटन किया। इस स्कूल का पहला नाम था रघुराज एंग्लो वनक्यिूलर मिडिल स्कूल। इसके शुभारंभ के समय इस समारोह की अध्यक्षता की सोहागपुर के तत्कालीन इलाकेदार लाल राजेंन्द्र बहाुदर सिंह, इनके अलावा शहडोल के कई सम्मानीय लोग उपस्थित हुए।
85 years old this school the Maharaja gave land Tata had given fund
संस्था में रखे गए थे शिक्षकीय उद्देश्य
इस संस्था के कुछ शिक्षकीय उद्देश्य रखे गए थे जिसका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी था।
हिन्दी राजभाषा के विकास को सहयोग देना
सर्वशिक्षा प्रतिबद्धता को सफल बनाना
अंग्रेजी के माध्यम से देश की आधुनिक शिक्षा पर जोर देकर अपना विकास करना
ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को आकर्षित करना और उनके विकास में सहयोग देना।
आवागमन के साधनों का विकास कर दूरांचल के विद्यार्थियों को इस स्कूल से जोडऩा
सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की नीति का पालन करना।
छुआछूत को कभी बढ़ावा ना देकर समानता के भाव को प्रस्तुत करना।
जब हायर सेकेंण्डरी हुआ स्कूल
53-54 में इंटर कॉलेज अलग भवन में चला गया जिसके बाद व्ही. सी. पंत, कुंवर सूर्यबली सिंह, रामसिंह जगधारी के निर्देशन में ये स्कूल चली। इसके बाद ये स्कूल हायर सेकेंडरी हो गया। रघुराज क्रमांक 2 ही पुराना स्कूल है। 1965-66 में स्कूल का विभाजन दो खंडों में हो गया। रघुराज क्रमांक-1 और रघुराज क्रमांक-2
उत्कृष्ट स्कूल
साल 2002 में रघुराज क्रमांक-2 को उत्कृष्ट स्कूल बना दिया गया। तब से लेकर अबतक जिले में उत्कृष्ट स्कूल का संचालन हो रहा है।

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